निपाह वायरस – हर साल इंडिया में किसी ना किसी वायरस का हमला होते रहता है।
पहले जीका वायरस, फिर इबोला वायरस और इस साल निपाह वायरस का हमला हुआ है। निपाल वायरस ने भारत पर आक्रमण कर दिया है और ये लेख लिखे जाने तक भारत में इस वायरस के कारण 12 लोगों की मौत हो चुकी है। आप इसका खतरा इस बात से भी समझ सकते हैं कि मरीजों के पास उनके परिजनों को भी आने नहीं दिया जा रहा है।
ये सारी मौतें अभी तक केवल केरल में हुई है जिसके कारण केरल में इसके कारण अफरा-तफरी मच गई है। निपाह वारयस से हुई मौतों के अचानक से अफरातफरी मचने के कारण केरल की स्वास्थ्य मंत्री कुमारी शैलजा ने लोगों को शांत रहने की सलाह देते हुए कहा की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
अस्पताल वाले कर रहे हैं शव का अंतिम संस्कार
इस वायरस के कहर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकती है निपाह वायरस के संक्रमण के डर से केरल के डॉक्टर्स ने अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों को अस्पताल आने से मना कर दिया है। यहां तक की संक्रमण से दम तोड़ने वाली नर्स लिनी की मां और उनके परिजनों को भी शव के पास नहीं आने दिया गया और नर्स के शव का अंतिम संस्कार अस्पताल के स्टाफ ने किया।
निपाह वायरस के डर से लोग छोड़ रहे गांव
निपाह वायरस के डर से केरल के उस गांव के लोग गांव छोड़ के जा रहे हैं। कोझिकोड जिले के चंगारोठ में वायरस संक्रमण से मौत के बाद कम से कम 30 परिवारों ने घर छोड़ दिया है। इस संक्रमण के डर से अब तक दो गांव भी खाली हो चुका है। यहां करीब 150 लोग खुद गांव से बाहर चले गए हैं। चमगादड़ से फैलने के कारण स्वास्थ कर्मचारी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चमगादड़ों को पकड़कर मारने में जुटे हैं औऱ गांव के कुओं की सफाई कर रहे हैं।
ऐसे पड़ा निपाह वायरस नाम
निपाह वायरस सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव में पाया गया था जिसके कारण इसका नाम निपाह नाम पड़ा था। इस गांव में पहली बार लोग इस संक्रमण से पीड़ित हुए थे।
निपाह वायरस की खोज करने वाले प्रोफेसर की रिसर्च को उनसे सीनियर ने बेकार कह दिया था। पहली बार इस वायरस के बारे में 1999 में डॉ. कॉ बिंग चुआ ने पता लगाया था। उस दौरान डॉ. बिंग मलेशिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मलाया से ग्रेजुएशन कर रहे थे। इनके इस प्रोजेक्ट को उनके सीनियर ने बेकार कहकर फेंक देने के लिए कहा था। लेकिन आज यह वायरस लोगों की जान ले रहा है और डॉ. बिंग इन दिनों टेमसेक लाइफ साइंसेस, सिंगापुर में बतौर साइंटिस्ट काम कर रहे हैं।
कैसे फैलता है यह वायरस?
यह वायरस चमगादड़ के द्वारा फैलता है। वैसे तो यह सुअर और अन्य जानवरों के द्वारा भी यह वायरस फैलता है लेकिन चमगादड़ इसके सबसे तेज वाहक होते हैं।
चमगादड़ इस वायरस को तेजी से फैलाते हैं। क्योंकि यही एक स्तनधारी जीव है जो उड़ सकता है और इधर से उधर तेजी से जा सकते हैं। ये पेड़ों में अधिकतर उल्टे रखते हैं। ऐसे में अगर पेड़ में लगए हुए कोई फल को यह चमगादड़ झूठा कर देता है और वह फल कोई व्यक्ति खा लेता है तो उसके शरीर के अंदर जा सकता है। जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़नी शुरू हो जाती है।
निपाह वायरस के प्रमुख शुरुआती लक्षण
निपाह वायरस बहुत ही खतरनाक होता है। इसके शुरुआती लक्षणों में सिर दर्द, बुखार और धुंधला दिखने की समस्या होती है। कुछ मामलों में सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है। इस बीमारी में शुरुआती तौर पर दिमाग में तेज जलन (इन्सेफेलाइटिस) होती है जिसका 48 घंटे में उपचार नहीं करने पर मरीज कोमा में चले जाता है।
ऐसे बचें इसके संक्रमण से
निपाह वायरस से बचने के लिए अभी टीके की खोज की जा रही है। ऐसे में इससे बचने का एक ही तरीका है कि आप सावधानी बरतें और इन बातों का जरूर ख्याल रखें-
निपाह वायरस जानवरों के जरिए इंसानों में फैलता है इसलिए जानवरों के सीधे संपर्क में ना आएं।
इस वायरस से पीड़ित शख्स के पास ऐसे ही ना जाएं।
पेड़ में लगे या जमीन में गिरे झूठे और कटे फल ना खाएं।
जैसे ही किसी शख्स में कोई शुरुआती लक्षण दिखते हैं तो उसे बिना नजरअंदाज किए नजदीकी अस्पताल में जाएं।
तो निपाह वायरस से बचने के लिए फिलाहल ये सारी सावधानियां बरतें और खुले में रखा पानी ना पिएं। खासकर पेड़ में लगे झूठे फल और जमीन में गिरे आधे-कटे फलों को ना खाएं। बाद बाकि जहां सावधानी घटेगी वहां आप निपाह के चपेट में आ जाएंगे। इसलिए खुद को हर तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखेँ।
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