इस्लाम में शादी – इस्लाम में मर्दों को 3 शादियां करने की इजाजत दी गई है।
कहा जाता है कि मुस्लिम धर्म को मानने वाले पुरुष 3 शादियां कर सकते हैं और वो एकसाथ अपनी तीनों बीवियों के साथ भी रह सकते हैं जबकि हिंदू धर्म में पुरुषों को इसकी इजाजत नहीं है।
इसी सिलसिले में कुछ दिनों पहले शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद ने मीर मासूम अली इमामबाड़ा कटरा में एक मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि ‘इस्लाम में मर्दों को एक भी निकाह करने की इजाजत नहीं है।‘ एक मर्द चार औरतों से निकाह नहीं करता बल्कि सच तो ये है कि चार औरतें एक मर्द से निकाह करती हैं।
अपने भाषण में उन्होंने ये भी कहा कि पहले औरत की तरफ से बा-हैसियत वकील मौलाना कहते हैं कि मैं तुमसे निकाह करती हूं, तब मर्द की तरफ से नियुक्त बा-हैसियत वकी मौलाना कहते हैं कि कबूल है। यह औरतों को जितना हक इस्लाम में दिया गया है उतना किसी भी मजहब में नहीं मिला है। इल्म की कमी की वजह से लोग इल्जाम लगाते हैं।
इस्लाम में शादी –
जब तक किसी के बारे में पूरी तरह से इल्म ना हो तब तक उस पर इल्जाम नहीं लगाना चाहिए। इस्लाम में पहले प्रैक्टिकल है बाद में थ्योरी है। रसूल ने चालीस साल प्रैक्टिकल करके पहले दिखाया बाद में थ्योरी के रूप में दुनिया में कुरआन आया।
इस्लामी जिंदगी के लिए अमली नमूना जरूरी है वरना इस्लाम का नतीजा भी वही होगा जो कम्युनिज्म का हुआ है। मजलिस से कुछ शायरों ने अपने आशार पढ़े।
उनके इस बयान में वैसे काफी दम लगता है क्योंकि उन्होंने कहा है कि एक मर्द चार औरतों से नहीं बल्कि चार औरतें एक मर्द से निकाह करती हैं। ऐसे में तो मर्द और औरत दोनों की ही गलती नज़र आती है।
अगर औरतें ही निकाह के लिए मना कर देंगीं तो फिर इस्लाम में मर्द कहां से 3-3 निकाह करेंगें।
इसमें तो औरतें भी उतनी ही जिम्मेदार हैं जितना कि मर्द। भला एक औरत को किसी दूसरी महिला का बसा-बसाया घर तोड़कर क्या मिलेगा। शादीशुदा मर्द से निकाह करके ना केवल एक लड़की उसकी पत्नी को दुख देती है बल्कि उसके पूरे परिवार और बच्चों का भी भविष्य खराब कर देती है।
इसके अलावा इस्लाम में तलाक का नियम भी काफी अजीब है। कुछ समय पहले ही हाई कोर्ट ने तीन तलाक पर रोक लगाई है। इस्लामिक महिलाओं ने तीन तलाक के खिलाफ विरोध जताया था जिसके बाद भारत में तीन तलाक को गैर कानूनी करार दे दिया गया।
महिलाओं का कहना था कि उनके पतियों ने उन्हें व्हॉट्सऐप, फोन और तार के ज़रिए तीन तलाक दे दिया और दूसरा निकाह कर लिया। ऐसे में वो और उनके बच्चे बेघर हो गए। देश में तो एक ऐसी बस्ती भी है जहां पर सिर्फ तीन तलाक से गुज़र चुकी मुस्लिम महिलाएं रहती हैं। यहां आकर आपको इनके दर्द का अहसास होगा कि कैसे ये पति के सहारे के बिना अपने बच्चों का अकेले ही पेट पाल रही हैं।
इस्लाम में शादी – अच्छा ही हुआ जो हाई कोर्ट ने तीन तलाक पर रोक लगा दी वरना महिलाओं की दशा और खराब हो जाती।
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