कार्यस्थल राजनीति

मैनेजर के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होते इस तरह के एमप्लोयीस

ऑफिस में कई लोग ऐसे होते हैं जो ना केवल स्‍टाफ बल्कि खुद मैनेजर के लिए भी सिरदर्दी बन जाते हैं। आज हम आपको ऑफिस के कुछ ऐसे ही एमप्लोयीस के बारे में बताने जा रहे हैं जो मैनेजर की नाक में दम कर देते हैं।

मैनेजर का काम इतना आसान भी नहीं होता है जितना की दिखाई देता है। ऑफिस में इतने सारे लोगों को संभालना और उनके बीच अच्‍छे तालमेल को बनाए रखना वाकई में मुश्किल काम है और इस काम के आड़े आते हैं कुछ खास तरह के एमप्लोयीस।

तो चलिए जानते हैं इन अलग-अलग तरह के एमप्लोयीस के बारे में..

पैनिक हो जाते हैं

कुछ लोग हर बात को लेकर नकारात्‍मक व्‍यवहार रखते हैं और अपने हर काम को लेकर एक दम से पैनिक हो जाते हैं। काम को शुरु करने से पहले ही इन्‍हें परेशानी आ जाती है। ऐसे लोग मैनेजर के लिए खासा मुश्किल खड़ी करते हैं। अगर उन पर काम का ज्‍यादा बोझ पड़ जाए तो शिकायत करने लगते हैं।

गैर हाजिर रहने वाले

ऐसे एमप्लोयीस को छुट्टी लेने के लिए किसी वजह की जरूरत नहीं होती है। किसी जरूरी मीटिंग वाले दिन भी ये लोग छुट्टी लेने में गुरेज़ नहीं करते हैं। वहीं छुट्टी लेने के लिए ये खांसी-जुकाम, घर पर चोरी होने और सिरदर्द जैसे बहाने बनाते हैं। ऐसे लोग वाकई में मैनेजर के लिए सिरदर्दी होते हैं।

गॉसिप करने वाले

फैमिली और रिश्‍तेदारों से ज्‍यादा गॉसिप तो ऑफिस में होती है। गॉसिप करने वाले लोगों को हैंडल करना मैनेजर के लिए शायद सबसे मुश्किल काम होता है। ये हर बात में अपनी टांग अड़ाते हैं। इस वजह से दूसरे एमप्लोयीस का ध्‍यान भी काम में नहीं लग पाता है। ये गप्‍पे मारने के लिए लंच टाइम तक की परवाह नहीं करते हैं।

चेहरे होते हैं दो

इस तरह के इंप्‍लॉयीज़ को हैंडल करना मैनेजर के लिए सबसे मुश्किल काम होता है। ये लोगों की चुगली भी करते हैं और दोस्‍ती का हाथ भी बढ़ाते हैं। ये सबकी बात सुनते हैं और फिर उसे सुलझाने की बजाय लोगों के बीच गलफहमियां पैदा करते हैं। इससे ऑफिस की शांति भंग होती है। ये दिखाते ऐसे हैं कि इन्‍हें तो ऑफिस पॉलीटिक्‍स से कोई लेना-देना ही नहीं है।

मैं हमेशा सही हूं

कुछ लोग हमेशा खुद को सही साबित करने में लगे रहते हैं और मैनेजर के आगे भी वो अपनी इस आदत से बाज़ नहीं आते हैं। ऐसे लोगों से बहस करना मैनेजर के लिए भी मुश्किल हो जाता है। हर चीज़ और विषय को लेकर इनका एक अलग ओपिनियन होता है और खुद कसे सही साबित करने के लिए ये बहस करने से भी नहीं कतराते हैं। हर तरह से इन्‍हें बस खुद को सही साबित करना होता है।

अजीब एमप्लोयीस – अगर आप भी मैनेजर हैं तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप भी सोच रहे होंगें कि ऑफिस में आपको कैसे-कैसे लोगों से निपटना पड़ता है। भले ही आपको लगता हो कि मैनेजर के पास ज्‍यादा काम नहीं है लेकिन उनके पास जिम्‍मेदारियां बहुत हैं जो सच में बहुत बड़ी बात है।

Parul Rohtagi

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Parul Rohtagi

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