आज यानी 14 नवंबर को चांद ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखाई देगा।
अगर आज आप ये मौका चूक गए तो चांद की इस चांदनी और खूबसूरत नजारे को दोबारा देखने के लिए आप को 18 साल इंतजार करना होगा।
आज की रात चांद 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत ज्यादा चमकदार होगा।
इस घटना को सुपरमून कहते हैं।
आमतौर पर चांद और पृथ्वी के बीच का दूरी करीब 3 लाख 84 हजार किमी होती है। लेकिन सोमवार यानी आज ये दूरी घटकर सिर्फ 3 लाख 55 हजार किमी रह जाएगी और चांद पृथ्वी के सबसे करीब होगा। जिससे चांद की काफी बड़ा दिखेगा।
हालांकि खुले आसमान में आपको चांद देखने पर खास फर्क महसूस नहीं होगा। लेकिन उगता चांद देखने पर ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखेगा। भूगोल वेत्ताओं के अनुसार सर्दियों के सुपरमून सबसे बड़े होते हैं, क्योंकि इन महीनों में पृथ्वी सूर्य के काफी पास होती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि चांद तो पृथ्वी के चारों ओर गोल घूमता है तो फिर वो कभी पृथ्वी के पास तो कभी दूर कैसे हो जाता है?
वो इसलिए क्योंकि चांद पृथ्वी के चारों ओर एकदम गोल चक्कर नहीं लगाता। बल्कि कुछ अंडाकार आकृति बनाते हुए चक्कर लगाता है। और इसी वजह से तय होता है उसका धरती से फासला।
दरअसल, चांद की दो कक्षाएं होती है। एक को आपाॅजी कहा जाता है तो दूसरी को पेरिजी। आपॉजी में रहते हुए चांद पृथ्वी से सबसे दूर होता है और पेरिजी में होते हुए सबसे करीब। जब परिभ्रमण करते हुए चांद, सूर्य और पृथ्वी तीनों एक कतार में आ जाते हैं और चांद और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाते है । साथ चांद अपनी कक्षा के उत्तरी गोलार्ध पेरिजी में प्रवेश कर जाता है। इसे सुपरमून कहा जाता है।
बता दें, इस साल चांद ने 3 बार सुपरमून के नजारे दिए हैं। पिछले महीने 16 अक्टूबर को भी सुपरमून हुआ था। और ठीक एक महीने बाद 14 दिसंबर को फिर सुपरमून होगा। लेकिन इस बार का सुपरमून दूसरे सुपरमून्स के मुकाबले पृथ्वी के ज्यादा अलग होगा।
ये मौका 68 साल बाद मिल रहा है।
पिछली बार 26 जनवरी 1948 को चांद पृथ्वी के इतने करीब आया था और उसके बाद अब। अगली बार 18 वर्ष बाद 25 नवंबर 2034 को चांद पृथ्वी के इतना करीब आ पाएगा।
14 नवंबर का सुपरमून इस लिहाज से भी खास होगा क्योंकि वो अपनी तेज रोशनी में उल्कापात का नजारा भी छिपा देगा।