संचार प्रणाली – टेलीपैथी
पिछले कुछ ही वर्षों में टेलेफोनेस, कम्प्यूटर्स, ऑय पैड्स, चैटिंग साइट्स, चैटिंग ऐप्स और न जाने किन किन उपकरणों कि वजह से मौलिक बातचीत से हमारा ध्यान हटता जा रहा है| एक दुसरे से जुड़ने के कितने ही तरीक़े हैं हमारे पास, सिवाए मुँह से बोलने के| आने वाले एक दशक में यह उपकरण भी एक चुनौती का सामना करेंगे और टेलीपैथी एक नयी दिशा कि ओर जायेगी | तब हमें बातचीत के लिए इन उपकरणों कि भी ज़रुरत नहीं रहेगी | विज्ञान और चेतना को जोड़ कर जो अविष्कार होंगे उन से हम एक दुसरे से जुड़ने कि प्रक्रिया में नए आयाम तय करेंगे|