विश्व कप में क्रिकेट का खेल नये नियमों के साथ खेला गया था. आपको शायद नये नियमों को एक बार फिर से सरसरी निगाह से जान लेना चाहिए.
-तीस यार्ड के भीतर 5 खिलाड़ी पूरे पचास ओवर तक हमेशा अंदर रहेंगे.
– मैच की हर इनिंग में दो गेंद उपलब्ध होगी.
-बल्लेबाजी टीम द्वारा लिये गये पॉवर प्ले में तीन खिलाड़ी ही 30 यार्ड के बाहर रह सकते हैं.
विश्व कप खत्म होने के बाद भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इन नियमों का विरोध किया है, धीरे-धीरे क्रिकेट के और भी जानकार इन नियमों के खिलाफ बोल रहे हैं.
विरोध का कारण यही है मैच इनके कारण काफी हद तक एक तरफ़ा हो जाता है. गेदबाज़ कहीं भी नज़र नहीं आते हैं. आज पहले तो क्रिकेट पिच भी खिलाडियों के हक़ में होती है, ऊपर से ये नये नियम.
विश्व कप में मात्र 2 मैचों को छोड़कर बाकी सभी मैच एकतरफा ही हुए हैं.
आप अगर आंकड़ों को मानते हो तो आइये वो भी देख लीजिये, इस टूर्नामेंट में 463 छक्के, 2170 चौकों की बरसात हुई है. इस बार सबसे ज्यादा रन बने, जो 23531 थे. दो बार 200 से ज्यादा व्यक्तिगत रन बने हैं. 400 से ऊपर रन तो टीम बच्चों के तरह बना रही है. इस बार 38 शतक लगा दिए गये हैं.
क्या ऐसे में क्रिकेट के सेहत के लिए ये नियम सही हैं?
आज क्रिकेट को हमारे संस्थान कितना व्यवसायिक बनाना चाहते हैं, क्या खेल को सिर्फ पैसे का ही माध्यम बनाना है? आज खेल का प्रारूप मात्र बल्लेबाजों के हक़ में कर दिया गया है.
अब ऐसे में हमको देखना होगा कि क्या इस तरह से खेल एक लम्बे समय तक बच पायेगा? जब ट्वेंटी-ट्वेंटी खेल बनाया जा रहा था, तब क्रिकेट की दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट लोगों ने इसका विरोध किया था. आज टेस्ट मैच और एकदिवसीय, ट्वेंटी की वजह से खत्म हुए हैं. इसी वजह से अब एकदिवसीय में बदलाव हुए, अब शायद टेस्ट में बदलाव होगा. लेकिन यहाँ पर हमको समझना होगा कि क्या ये बदलाव खेल के लिए सही हैं?
मात्र ज्यादा रन बनवाना ही खेल है क्या? जब गेंदबाजों के लिए यहाँ कुछ है ही नहीं तो क्यों ना एक रोबोट मशीन को गेंदबाजों की जगह रख लिया जाए?
अब सवाल यह है कि क्या नये नियम क्रिकेट के खेल को बर्बाद कर रहे हैं? आपको तय करना है कि क्या आपको खेल चाइये या सिर्फ एक मनोरंजन का साधन. यदि आप क्रिकेट के प्रेमी हैं तो अब आपको खुलकर आवाज़ उठानी ही होगी.