हांल ही में वैज्ञानिकों को बहुत बड़ी सफलता हाथ लगी है। जी हां वैज्ञानिकों को पृथ्वी के नजदीक 3 नए ग्रह मिले है।
ये ग्रह हमारी आकाश गंगा में मिले है। जो लगातार सितारों के चक्कर काट रहें है।इन ग्रहों को ‘बेबी प्लैनेट’ भी कहा जा रहा है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ये प्रोटोप्लैनेट हैं और एक प्लैनेट यानी ग्रह के रूप में विकसित हो रहे हैं।
वैज्ञानिकों का दांवा है कि ये नए ग्रह अब तक के सबसे छोटे ग्रह है। ये छोटे ग्रह हमारे सौर मंडल से लगभग 330 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। एक नए सितारे ‘एचडी 163296’ का चक्कर लगाते हुए पाए गए हैं।
क्रिस्टोफ पिंट, ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता ने बताया, ‘पिछले कुछ सालों में हमारी आकाशगंगा के बाहर हजारों एक्सोप्लैनेट्स मिले हैं, लेकिन प्रोटोप्लैनट मिलना साइंस के लिए भी नया है।’ ये छोटे ग्रह वैज्ञानिकों को तब मिले जब वो HD 163296 नामक सितारे के गैसे से भरे डिस्क में कुछ गड़बड़ी देखी। पिंट ने बताया कि हमारी नई तकनीक इस सिद्धांत को लागू करती है ताकि यह समझने में सहायता मिल सके कि ग्रह प्रणाली कैसे बनती है।वैज्ञानिकों ने इन ग्रहों की तस्वीरें भी ली हैं जिससे ये खोज साबित होती है। इन ग्रहों की तस्वीरें टेलीस्कोप से इस प्रकार ली गईं, जैसा पहले कभी नहीं ली गईं।
इन नए ग्रह पर क्या होना जरुरी है-
-तीनों नए ग्रह जो खोज निकाले गए हैं, वहां मानव रिहाईशी संभव होने की उम्मीद की जा सकती है।
-सतह का तापमान पानी के टिकने के योग्य होना चाहिए।
-ग्रह का आकार भी पृथ्वी के द्रव्यमान के अनुसार ही होना चाहिए। वरना गुुरुत्वाकर्षण में दिक्कतें आती है।
वैसे बाकी ग्रहों से ज्यादा मंगल सौरमंडल में जीवन होने की संभवना ज्यादा है। इसे “लाल ग्रह” के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं – “स्थलीय ग्रह” जिनमें ज़मीन होती है और “गैसीय ग्रह” जिनमें अधिकतर गैस ही गैस है।
पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। लेकिन इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। हमारे सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस गृह पर जीवन होने की संभावना है।
क्या हम कभी जा पाएंगे सौरमंडल से बाहर?
जी हां भविष्य में हम एक मानव रहित अंतरिक्ष यान को अपने सौरमंडल से बाहर भेजने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए एक दीर्घकालीन योजना और भरपूर धैर्य की जरूरत होगी।
रूसी अरबपति यूरी मिल्नर, भौतिक विज्ञानी स्टीफन हाकिंग और फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग ने अप्रैल में इस तरह की योजना पर विचार कर रहें हैं। इनका विचार है कि एक ऐसा छोटा अंतरिक्ष यान बनाया जाए जिसे लेजर बीम की मदद से प्रकाश की गति के पांचवे हिस्से की गति दी जा सके। अगर ऐसा हो सका तो हमारे पड़ोसी सौरमंडल एल्फा सेंटाउरी तक महज 20 सालों में पहुंचा जा सकेगा।