3. आत्मप्रेमी:-
यूनानी मिथक “नारसिसस” के बारे में कहा गया हैं. नारसिसस नदी के देवता सेफ़िसस तथा अप्सरा लीरिओप से उत्पन्न अति सुंदर बालक था. भविष्यवक्ता टीरेसियस ने घोषणा की थी कि नारिसिसस की उमर काफी लंबी होगी, बशर्ते वह अपना चेहरा न देखे. “एको” नामक अप्सरा अथवा “अमीनियस” के प्रेम को ठुकराने के कारण यूनानी देवता नारसिसस से अप्रसन्न हो गए. फलस्वरूप नदी के किनारे जाने पर उसने अपने चेहरे की परछाई पानी में देख ली और उस पर फिदा होकर जान दे दी. जहां पर उसकी मौत हुई वहां एक फूल उगा जिसे मरनेवाले के नाम पर “नारसिसस” (नरगिस) कहा जाने लगा. इस मिथक के आधार पर फ्रायड ने “आत्मरति” नाम की कल्पना को प्रस्तुत करते हुए कहा : “जिस व्यक्ति के आकर्षण की वस्तु बाहरी दुनिया में नहीं होती, वो अपने से प्रेम करने लगता है और ऐसा ही व्यक्ति आत्मप्रेमी कहलाता है.” तनाव से मुक्त होने के लिए बाहरी वस्तुओं के लिए आकर्षण का होना आवश्यक है, यह मनोवैज्ञानिक सत्य है और जब व्यक्ति बाहारी वस्तुओं या व्यक्तियों में रस नहीं ले पाता तो तब वो सेल्फसेंटर्ड हो जाता हैं.