ज़िदंगी चलते रहने का नाम है। कईं बार ज़िदंगी में ऐसे हालात आते हैं, जब आपको कुछ लोगों को माफ कर आगे बढ़ना पड़ता है जो कि ग़लत भी नहीं है।
ज़िदंगी में आगे बढ़ने के लिए पुरानी बातों को भूलना ज़रूरी है और पुरानी बातें भूलने के लिए, माफ करना बहुत ज़रूरी है लेकिन कईं बार माफ ना करना भी बहुत ज़रूरी होता है।
कईं बार माफ ना करना किसी और के लिए नहीं, बल्कि आपके खुद के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
आइए आपको बताते हैं कि किन हालातों में माफ ना करना ज्यादा अच्छा होता है।
हम बचपन से सुनते आए हैं, पढ़ते आए हैं, कि सज़ा देने वाले से बड़ा माफ करने वाला होता है, जो कि ग़लत भी नहीं है। लेकिन किसी को माफ करने की भी कुछ शर्ते, कुछ हदें होती है। अगर आप इन शर्तों को इग्नोर कर, इन हदों को पार कर रहे हैं तो आप अपने साथ ग़लत कर रहे हैं। इससे सिर्फ आपको, आपके भरोसा, आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को नुकसान हो रहा है और किसी को नहीं, इसलिए माफ करें लेकिन ये भी याद रखें, कि हालातों में माफ ना करना ज्यादा अच्छा होता है।
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