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गुडगाँव में दो नेपाली महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, क्यों उत्तर भारत बन रहा है बलात्कार का गढ़

एक बार फिर शर्मसार हुआ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र.  

गुडगाँव में दो नेपाली महिलाओं के साथ महीने भर तक सामूहिक बलात्कार 

ये बात तो लगभग सब जानते है या कहते है कि धीरे धीरे उत्तर भारत बलात्कार का गढ़ बनता जा रहा है.

गुडगाँव में हुई ताज़ा घटना इस बात को और भी पुख्ता कर देती है. कल पुलिस ने गुडगाँव के एक घर से एक माँ और बेटी को बचाया, जिनका लगातार पिछले एक महीने से सामूहिक बलात्कार किया जा रहा था.

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि जहाँ पर इन दोनों महिलाओं का शारीरिक और मानसिक शोषण होता वो घर सऊदी अरब के एक सरकारी व्यक्ति का था.

सूत्रों से पता चला है कि ये दोनों महिलाएं नेपाल में आये भूकंप के बाद काम के सिलसिले में दिल्ली लाई गयी थी वहां से इन्हें सऊदी अरब ले जाया गया. उसके बाद जब ये भारत आई तब इनके साथ बलात्कार और अन्य नृशंस कृत्य किये गए.

इस घटना में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. जांच के साथ साथ इस घटना की और परतें खुलेंगी लेकिन सोचने वाली बात ये है कि क्यों दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बलात्कार की इतनी घटनाएँ होती है.

क्यों दिल्ली या कहे उत्तर भारत ही महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहा है.

आइये इसके कारण जानने की कोशिश करते है.

16 दिसम्बर को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली पूरे देश की नज़र में आ गयी और उसके बाद ऐसा लगा कि शायद बलात्कार की घटनाएं कम होंगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. बलात्कार की घटनाएँ बढ़ ही गई और अब तो ऐसा लगता है दिल्ली और उत्तर भारत के लिए बलात्कार जेबकतरी या उठाईगिरी जैसा छोटा मोटा अपराध बन गया है.

अख़बार खंगालिए या फिर समाचार चैनल में देखिये रोज़ 10-12 बलात्कार के मामले पढने या देखने को मिल जायेंगे और लोग भी इतने आदी हो गए है की ऐसी ख़बरों को तवज्जो तक नहीं देते.

क्या है बलात्कार के कारण

अगर हमारे बुद्धिमान राजनेताओं की माने तो उनके बताये बलात्कार के कारण ना सिर्फ हास्यास्पद है अपितु महिलाओं के सम्मान के प्रति बेहद अपमानजनक भी है. नूडल खाना, जीन्स पहनना या फिर किसी कंडोम का विज्ञापन जैसे वाहियात और बेहूदा कारण बताते है बलात्कार के. वहीँ उत्तर प्रदेश में सपा सुप्रीमो तो और भी आगे है उनके हिसाब से बलात्कार लड़कों के बचपने की वजह से होता है और सामूहिक बलात्कार जैसी की कोई चीज़ नहीं होती. इन सब कारणों को कचरे के डब्बे में डालिए.

आज हम यहाँ बात कर्नेंगे उत्तर भारत में बलात्कार के मामलों में बेतहाशा वृद्धि के बारे में.

1.  बलात्कार का एक प्रमुख कारण है पुरुष सत्ता को पुख्ता करना. आज जब लड़कियां हर मामले में लड़कों के बराबर है तो ऐसे में बहुत से कुंठित पुरुष ऐसे होते है जिन्हें बर्दाश्त नहीं होता की कोई महिला किसी भी क्षेत्र में उनकी बराबरी करे और जब ऐसा होने लगता है तो उनकी नफरत बढ़ने लगती है और उन्हें लगता है कि किसी भी महिला को नीचा दिखाने के लिए उसकी अस्मत पर चोट करो. नतीजा बलात्कार.

2.  मानसिक कुंठा जोकि शायद हाल में नेपाली महिलाओं के साथ हुए बलात्कार का कारण भी है. बहुत से पुरुष कुंठित और मानसिक रूप से बीमार होते है और उनके लिए महिला बस भोग्या होती है जिसका इस्तेमाल अपनी ज़रूरतें पुरी करने के लिए किया जाता है. ये पुरुष अपनी कुंठा, घृणा और कमजोरी छुपाने के लिए या फिर अपने पागलपन के चक्कर में बलात्कार करते है.

3.  शिक्षा और रुढ़िवादी विचार उत्तर भारत के बहुत से शहरों और गाँवों में उचित शिक्षा नहीं है और अगर शिक्षा है भी तो उसके साथ रुढ़िवादी विचार और खाप जैसे कानून भी है. ये सब चीज़ें हमेशा लड़की को ही गलत मानती है. और क्या कहेंगे आप ऐसे लोगों के बारे में जो किसी मामले में लड़की का सामूहिक बलात्कार करने जैसी पाशविक अमानवीय सजा देने से नहीं चूकते.

4.  जो थोड़ा अजीब लगे पर सच है वो ये है कि उत्तर भारत खासकर दिल्ली हरियाणा और आसपास के इलाकों में सेज और तेज़ी से हुए आर्थिक विकास की वजह से लोगों के पास अनाप शनाप पैसा आ गया और उसके ऊपर से राजनैतिक ताल्लुकात. ऐसे में वो लोग बेलगाम हो जाते है और समझते है कि कोई उनका कुछ नहीं कर सकता है और इसलिए लड़कियों के साथ बलात्कार करना उनके लिए बहुत छोटी बात लगती है.

ये तो बस कुछ ही कारण थे अगर गिनाने लगे तो बलात्कार के कारणों की फेहरिस्त बहुत लम्बी होगी. बलात्कार को रोकने का अगर कोई तरीका है तो वो बस ये कि लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक बनाया जाए और लड़कों को बचपन से ही इंसान बनाया जाए.

छोटी उम्र में भी अगर वो कोई लड़की या महिला के साथ छोटी बड़ी कैसी भी गलत हरकत करे तो उसे समझाना और ज़रूरत पड़ने पर सजा भी देनी चाहिए और उसे महिलाओं का सम्मान करना सीखा चाहिए.

गुडगाँव बलात्कार काण्ड के बाद भी हालत ज्यादा बदलते हुए नहीं लगते, जब 16 दिसम्बर के बाद कुछ नहीं बदला तो अब गया बदलेगा. लेकिन अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम इंसान कम जिस्म नोचने वाले भेड़िये ज्यादा लगने लगेंगे.

आज बाहर बलात्कार कर रहे है क्या पता कल को वहशियत इतनी बढ़ जाए की अपने घर की महिलाओं और लड़कियों को भी शिकार बना ले अपनी हवस का.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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