1974 में जब स्टीव जॉब्स अटारी कंपनी के लिए काम करते थे तो वो एक मित्र के कहने पर नीम करोली बाबा के दर्शन के लिए आये.
जॉब्स जब उनके आश्रम गए तो पता चला कि बाबा का स्वर्गवास हो गया है. स्टीव जॉब्स ने कुछ दिन वहां रहकर प्रज्ना साधना की. आश्रम के वातावरण और साधना की वजह से स्टीव को मार्गदर्शन मिला और एक लक्ष्यविहीन युवा से स्टीव एप्पल जैसी कंपनी के संस्थापक बने.