सृष्टी के कण कण में भगवान है लेकिन भगवान को भी दुनिया देखने के लिए किसी ना किसी रूप में रहना पड़ता है.
देवों के देव महादेव भगवान शिव शिवलिंग के रूप में धरती के सभी जगह विद्यमान है. इसलिए उनसे जुड़े चमत्कार और अद्भूत बाते देखने और सुनने को मिलती है.
लेकिन भगवान शिव शिवलिंग के अलावा एक और रूप में धरती पर भ्रमण करते है.
तो आइये जानते है कौन सा है वह रूप
- भगवान शिव के अनेक नाम है उन्ही नामो से एक नाम नीलकंठ है.
- भगवान् शिव का नाम नीलकंठ इसलिए पड़ा क्योकि कहा जाता है जब समुद्र मंथन हुआ तब समुद्र से बहुत भयंकर विष निकला जिससे सारी सृष्टी का नाश हो सकता था.
- उस विष से सृष्टी को बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उस विष को अपने गले में धारण कर रख लिया जिससे भगवान शिव का गला विष के कारण नील रंग का हो गया. तब से भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से पुकारा जाने लगा.
- लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की और शिव पूजा कर ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रूप में धरती पर आये.
- इस पक्षी को नीलकंठ ही कहा जाता है और यह बहुत कम रूप में दिखाई देता है.
- दशहरे के दिन इस नीलकंठ पक्षी को देखने से इंसान को धन धान्य मिलता है और पाप मुक्त हो जाता है. इस दिन हर कोई इस पक्षी को देखने के लिए उतावला रहता है. जिसको दशहरे के दिन यह पक्षी दिखाई देता है वह बहुत भाग्यशाली समझा जाता है.
यह नीलकंठ पक्षी भगवान् शिव का एक रूप है जिसके लिए कहा जाता है कि धरती में विचरण के लिए भगवान शिव इस नीलकंठ पक्षी का रूप लेकर घूमते है.