बॉलीवुड नगरी में ऐसे हाजारों लोग फिल्मों में काम करने का सपना लेकर आते हैं लेकिन बहुत कम ही किस्मत वाले होते हैं जिन्हें कामयाबी मिलती है।
बेंगलुरु की एक लड़की ऐसा सपना लेकर मुम्बई आई जो उसके लिए नामुमकिन था। एक शाम जब उसका सपना साकार होने वाला था तभी अलगी ही रात जैसे वह सपना मुसीबत में आ गया। उसे अहसास हो गया कि शायद वह सपना सपना ही रह जाएगा।
निधि अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा कि- ‘पिछले महीने मैंने बॉलीवुड फिल्म मुन्ना माइकल की। मैंने सोचा भी नहीं था कि यह फिल्म मुझे इतना कुछ सीखा देगी। मुझे लगता है कि बॉलीवुड और मेरे आस पास के लोगों को समझने के लिए कोई क्रैश कोर्स करना चाहिए। मेरे विचार सबसे बहुत अलग है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं पहली ऐसी लड़की हूं जो सपने सच करने की चाह रखती है।‘
निधि अग्रवाल की लिए सोचना आसान नहीं था कि नामुमकिन सपना लिए बेंगलुरु की एक लड़की का सपना एक शाम सच होने वाला था लेकिन अगली ही रात उनका सब सपने परेशानियों में फंस गया। अगले दो दिन तक लोगों की प्रतिक्रिया को देखते हुए लग रहा था कि उनका कैरियर शुरु होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।
लेकिन उन्हें लगता है कि यह निराश होने की कहानी नहीं है।
निधि अग्रवाल ने आगे लिखा कि- यह कहानी उम्मीदों और नामुमकिन को मुमकिन करने की है। दो दिन तक सोचने पर समझ आया कि मैं कोई रॉकेट पर सवार नहीं हूं कि सीधे आसमान तक उड़ जाऊं। मेरी यात्रा अभी शुरु हुई है और एक दिन अपनी मंजिल पर पहुंच जाउंगी।
मुझे महसूस हुआ कि हम जिस समाज में रहते हैं वहां लोग तुरंत निर्णय लेते हैं, नकारात्मक बहुत है। यहां रहने का एक ही रास्ता है कि आप खुश रहते हुए अपने सपने को पूरा करने में लगे रहे, तब तो आपको कोई भी नकारात्मकता गिरने नहीं देगी।
ऐसी मिडिल क्लास लड़की जिसका एक भी जानकार बॉलीवुड में नहीं हो, का यहां टीके रहना किसी जादूई शक्ति से कम नहीं है।
निधि अग्रवाल को उम्मीद तो हैं लेकिन उन्हें निराशा इस बात का है कि लोग भी ऐसे लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाते है। निधि मेहनत करने को तैयार है पर वो पीछे नहीं हट सकती है। निधि ने अपने लम्बे चौड़े खत में अपनी उन सभी बातों का जिक्र किया जो वो महसूस करती है। हम तो बस उम्मीद कर सकते हैं कि वो अपने सपने में साकार हो। हमारी शुभकामनाएं उनके साथ है।