पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इन दिनों अपने मुल्क में हिंदुओं को लुभाने के लिए कोई मौका नहीं चूक रहे हैं.
पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं की शादी के पंजीकरण से जुड़े हिंदू विवाह विधेयक को सीनेट में हरी झंडी दिलवाना हो, कटासराज हिंदू मंदिर के पुनर्निर्माण की पहल करना हो या फिर होली के कार्यक्रम में शरीक होकर गायत्री मंत्र सुनना हो.
ये सब बताता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ इन दिनों खुद को अल्पसंख्यक-हितैषी बताने पर तुले हैं. दरअसल, इन दिनों भारत ने जिस प्रकार पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार को लेकर अंतराष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक पहल की है उससे पाक सरकार डरी हुई है.
साथ ही पाकिस्तान में नवाज शरीफ को लगता है कि उनके त्यौहारों में जाने और उनके पक्ष में बाते कहने से आगामी चुनावों में हिंदू आदि अल्पसंख्यक उनकी पार्टी का समर्थन करेगे.
लेकिन इन तमाम कवायदों का अगर बारीक विश्लेषण करें, तो एक दूसरी ही तस्वीर सामने आती है. नवाज शरीफ की ये तमाम कोशिशें पाकिस्तानी हिंदुओं साथ भारत और दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कवायद है.
यह दुनिया को दिखाने का प्रयासभर है कि पाकिस्तान एक उदार और मिली-जुली संस्कृति वाला मुल्क बनने की राह बढ़ चला है. पाकिस्तान में ऐसे दिखावटी कदम पहले भी उठाए जाते रहे हैं.
पिछली हुकूमतों ने वहां दीपावली और होली तक मनाई हैं. मगर बंटवारे से लेकर अब तक हालात नहीं बदले हैं. जबकि हकीकत में वहां असहिष्णुता अपने चरम पर है. आलम यह है कि अल्पसंख्यक समुदायों की औरतों को सरेराह उठा लिया जाता है और उनका मजहब जबरन बदलवाया जाता है. इसे रोकने के लिए अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई.
सिंध प्रांत की असेंबली ने ही जबरन धर्म परिवर्तन को अपराध बताने वाले जिस विधेयक को मंजूरी दी थी, उसे वहीं के गवर्नर सईदुज्जमां सिद्दीकी ने वापस लौटा दिया, क्योंकि मजहबी तंजीमें इस विधेयक के खिलाफ थीं.
दिलचस्प यह है कि सिद्दीकी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के काफी खासमखास हैं. पाकिस्तान में यह किसी से छिपा नहीं है कि वहां कौन सी ताकतें जबरिया मजहब बदलवाती हैं, पर किसी भी हुकूमत ने उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की है.
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ईसाई समुदाय के उन लोगों के साथ अब तक कहां न्याय कर पाए हैं, जिनके खिलाफ पंजाब प्रांत के उन्हीं की मुस्लिम लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दंगे करवाए थे? लेकिन अब नवाज को लग रहा है कि अमेरिका और अन्य देश इसको लेकर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकते हैं.
यही कारण है कि नवाज शरीफ हिंदुओं को लुभाने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों के जरिए अपने चुनावी एजेंडे को सेट करने में लगे हैं.
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