नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है. लेकिन किसी खास कार्य की सिद्धि के लिए नवरात्र में 10 महाविद्या की उपासना का विशेष महत्व है.
चाहे मां दुर्गा हों या फिर काली ये सभी देवियां शक्ति का ही स्वरुप मानी जाती हैं. इनमें बस अंतर है तो मुड और चित्रण का.
किसी खास कार्य की सिद्धि या शक्ति साधना में 10 महाविद्याओं की उपासना अहम मानी जाती है.
आइए जानते हैं इस 10 महाविद्या के बारे में और उनकी साधना से मिलनेवाले फल के बारे में.
दस महाविद्या के तीन समूह हैं.
पहला- सौम्य कोटि
त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी और कमला
दूसरा- उग्र कोटि
काली, छिन्नमस्ता, धूमावती और बगलामुखी)
तीसरा- सौम्य-उग्र कोटि
तारा और त्रिपुर भैरवी.
दस महाविद्या ——