दोस्तों सबसे पहले मैं यह बता दूँ इस वक़्त मैं आम-रस, गन्ने का रस, संतरे का रस वगेरह वगेरह के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ|
यहाँ बात हो रही है कला के नौ रसों के बारे में जो हमारी संस्कृति का एक अटूट हिस्सा हैं|
यह रस हैं: श्रृंगार, हास्य, करुण, वीभत्स, क्रोध, भय, वीर, अद्भुत और शांत!
इन सभी के बारे में आपने पढ़ा या सुना ज़रूर होगा और इनका इस्तेमाल कलाकार अपनी कला में अलग-अलग रूपों में करते हैं| हैं तो आखिर यह हमारे जीवन का हिस्सा ही| लेकिन इनसे बढ़कर भी एक रस है जो मानव-जाती के लिए सबसे फायदेमंद साबित हो रहा है और उसकी लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती जा रही है!
अंदाजा लगाना चाहेंगे?
खैर मैं ही बता देता हूँ| वो रस है: पर-निंदा रस!
जी हाँ, अंग्रेजी में इसे “बिचिंग” के नाम से जानते हैं आप!
क्यों सही है ना दोस्तों?
आ गयी ना चेहरे पर बड़ी वाली मुस्कान? इस रस की बात ही निराली है, कहीं भी कभी भी किसी के भी बारे में किसी के भी साथ कर सकते हैं! ना कोई टैक्स लगता है ना ही यह कानूनन कोई जुर्म है| बस चाहियें दो लोग जो किसी की पीठ पीछे उसकी बुराई करने को उतावले हुए जा रहे हों!
ध्यान रहे, यह रस सिर्फ हमारे देश में ही नहीं, विश्वभर में प्रसिद्ध हो चुका है| चाहे दोस्त साथ में बैठे हों या रिश्तेदार, चाहे ऑफिस के सहकर्मी हों या पडोसी, हर किसी के साथ आप इस रस का आनंद उठा सकते हैं| पर-निंदा करने के बाद सुनने में आया है कि रक्तचाप घाट जाता है, दिल की धड़कनें संगीत में मंत्रमुग्ध सी हो जाती हैं, चेहरे पर ख़ुशी के बादल छा जाते हैं, गाल लाल हो जाते हैं और पूरे शरीर में एक नया जोश भर जाता है!
सबसे ख़ास बात यह है कि पर-निंदा में सच और झूठ का भेद ख़त्म हो जाता है| किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में आप कुछ सच बोलते हैं, थोड़ा झूठ और थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा घुमावदार सच जिसके बारे में पता लगाना नामुमकिन होता है कि उसमें सच की मात्रा कितनी है और झूठ की कितनी| एक तरह से देखा जाए तो मानव-योनि से ऊपर उठ जाते हैं जहाँ सच और झूठ का मिलन होता है, ज़िन्दगी नया रंग अख्तियार कर लेती है और शायद उपरवाले के दर्शन भी हो जाते हैं!
बस डर इस बात है कि पोल खुल जाए तो मामला संभालना बड़ा मुश्किल हो जाता है|
पर चिंता काहे की, जब तक पकडे ना जाएँ, पर-निंदा का आनंद उठाएँ और अपना दिन सुहाना बनाएँ