नवरात्रि में दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है.
दुर्गा माँ अपने भक्तों की रक्षा भिन्न भिन्न रूपों में भिन्न भिन्न तरीकों से करती है. क्या आप जानते है कि दुर्गा के हर रूप से एक विशेष औषधि भी जुड़ी होती है.
इस प्रकार ये 9 दुर्गा के औषधि रूप हमारे लिए एक कवच का कार्य करते है. इन औषधियों के उचित सेवन से हर तरह की व्याधियां दूर हो जाती है.
आइये आपको बताते है माता दुर्गा के ये 9 औषधि रूप….
शैलपुत्री (हरड)
इसे शैलपुत्री माना जाता है. आयुर्वेद में ये एक प्रधान औषधि है. इसके 7 अलग अलग प्रकार होते है. जो अलग अलग व्याधियां दूर करते है. जिनके नाम है हरितिका, पथया ,कायस्थ,अमृता,हेमवती,चेतकी,श्रेयसी और शिवा.
ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी )
दुर्गा का ये औषधि रूप शरीर में रक्त बढ़ाता है. ब्राह्मी के सेवन से दिमाग भी तेज़ होता है और स्मरण शक्ति भी बढती है. ब्राह्मी का सेवन गायकों के लिए भी विशेष लाभदायी होता है. ब्राह्मी के सेवन से आवाज़ मधुर होती है.
ब्राह्मी मन और मस्तिष्क को शक्ति देने के अलावा शरीर के रक्त विकारों को भी मूत्र मार्ग से बाहर निकालने का कार्य करती है.
चंद्रघंटा (चंदुसुर )
दुर्गा का तृतीय रूप चंद्रघंटा कहलाता है. चंदुसूर एक धनिये के जैसा पौधा होता है जिसकी पत्तियों की सब्ज़ी बनती है.
चंदुसूर का सबसे बड़ा गुण ये है कि इसके सेवन से मोटापा कम होता है. ये औषधि शक्ति बढ़ाने वाली और ह्रदय सम्बन्धी विकारों को दूर करने वाली होती है.
कुष्मांडा (पेठा )
इसे कुम्हड़ा भी कहा जाता है. इस फल से मिठाई बनती है जिसे पेठा कहा जाता है. इसके सेवन से वीर्य और पौरुष में वृद्धि होती है. पेट सम्बन्धी विकार दूर होते है और मानसिक रोगियों के लिए ये किसी वरदान कम नहीं है. इस औषधि के सेवन से गैस सम्बन्धी परेशानियाँ भी दूर होती है.स्कंदमाता (अलसी )
ये दुर्गा का पांचवा स्वरूप है. इसे उमा भी कहा जाता है. औषधि रूप में इसे अलसी कहा जाता है.
अलसी के सेवन से वात ,कफ और पित्त सम्बन्धी रोग दूर होते है.
कात्यायनी (मोइया )
नवदुर्गा का छठा स्वरूप कात्यायनी है. औषधि रूप में इसे मोइया कहा जाता है. इसके अलावा इसे अम्बा,अम्बलिका,माचिका भी कहते है. इसके सेवन से कफ,वाट,पित्त सम्बन्धी विकार दूर होते है. गले के रोग से पीड़ित व्यक्ति को मोइया के सेवन से विशेष लाभ होता है.
कालरात्रि (नागदौन )
जिस प्रकार कालरात्रि के रूप में दुर्गा सभी बुराइयों का नाश करती है उसी प्रकार कालरात्रि का औषधि रूप नागदौन हर प्रकार के कष्टों से छुटकार दिलाता है. या सभी विषों का नाश करने वाली औषधि है. ये मन ,मस्तिष्क की सभी व्याधियां दूर करती है. नागदौन का पौधा घर में लगा लेने से सारे कष्ट दूर हो जाते है.
महगौरी (तुलसी)
महागौरी का औषधि रूप तुलसी है. तुलसी करीब करीब हर हिन्दू घर में पायी जाती है. तुलसी का उपयोग विभिन्न रोगों के निदान में किया जाता है. तुलसी के सात प्रकार होते है. वैसे तो तुलसी का सेवन सबके लिए लाभदायक है लेकिन ह्रदय रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए तुलसी का सेवन विशेष लाभकारी होता है.
सिद्धिदात्री (शतावरी )
सिद्धिदात्री का औषधि रूप शतावरी है. इसके सेवन से रक्त विकार और वात,पित्त दोष दूर होते है. शतावरी के नियमपूर्वक सेवन से बुद्धि और वीर्य में वृद्धि होती है. जो व्यक्ति दुर्गा के इस औषधि रूप शतावरी का नियमपूर्वक सेवन करता है उसके सभी शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर हो जाते है.
देखा आपने नवरात्रि में 9 दुर्गा का महात्म्य केवल देवी रूप में ही नहीं है. इसका वैज्ञानिक आधार भी है. 9 दुर्गा के रूप में औषधियों का उपयोग करके हमारे सभी शारीरिक और मानसिक रोग दूर हो जाते है. अत: हर मनुष्य को नियमपूर्वक दुर्गा के रूप में इन औषधियों का सेवन करना चाहिए.
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