जन गण मन अधिनायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता.
बरसो से हम जिस राष्ट्र गान को गाते आ रहे है उस पर अब संदेह करना कितना लाजमी है?
यह खुद उंगली उठाने वाले को सोचना चाहिए.
किंतु इस मसले को सकारत्मक तरीके से शांत करने से बेहतर हवा देने का काम आज हो रहा है. माना की हमारे देश से या हमसे जुडी जो भी महत्वपूर्ण चीज़ हो उसके बारे में हमें आवश्यक ज्ञान होना जरुरी है. जिनसे हमारे जज्बात जुड़े होते है.
जैसे ही राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजस्थान विश्वविद्यालय के 26 वे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जन गण मन अधिनायक जय हो ‘अधिनायक’ किसके लिए? यह ब्रिटिश शाषक का गुणगान है. इस लिए अधिनायक’ शब्द की जगह ‘मंगल’ (शुभकामनाएं) शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए.
लेकिन ये कहा तक ठीक है?
गड़े मुर्दे उखाड़ कर इस पर राजनीति करना बेहद ही लजास्पत बात है.
राष्ट्रगान का अर्थ ?
जन गण मन अधिनायक जय हे,
अर्थ -हे भारत के जन गण और मन के नायक (जिनके हम अधीन हैं)
भारत-भाग्य-विधाता
अर्थ –आप भारत के भाग्य के विधाता हैं
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
अर्थ –वह भारत जो पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र
द्वाविड़, उत्कल, बंग
अर्थ –तमिलनाडु, उड़ीसा, और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है
विन्ध्य, हिमाचल, यमुना-गंगा,
अर्थ –जहाँ विन्ध्याचल तथा हिमालय जैसे पर्वत हैं और यमुना-गंगा जैसी नदियाँ हैं
उच्छल जलधि तरंग
अर्थ –और जिनकी तरंगे उच्छश्रृंखल होकर उठतीं हैं
तव शुभ नामे जागे
अर्थ –आपका शुभ नाम लेकर ही प्रातः उठते हैं
तव शुभ आशिष माँगे
अर्थ –और आपके आर्शीवाद की याचना करते हैं
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
अर्थ –आप हम सभी जनों का मंगल करने वाले हैं, आपकी जय हो
गाहे तव जयगाथा,
अर्थ –सभी आपकी ही जय की गाथा गायें
जन-गण-मंगलदायक जय हे
अर्थ –हे जनों का मंगल करने वाले आपकी जय हो
भारत भाग्य विधाता
अर्थ –आप भारत के भाग्य विधाता हैं
जय हे, जय हे, जय हे,
अर्थ –आपकी जय हो, जय हो, जय हो
जय, जय, जय, जय हे
अर्थ –जय, जय, जय, जय हो
कब लिखा और गाया था ये गीत?
जन गण मन गीत जिसे बाद में राष्ट्रगान घोषित किया गया. यह बांग्ला भाषा में रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था. यह गाना दिल्ली दरबार में नहीं बल्कि सन १९११ ई० में हुए कांग्रेस के कलकत्ते वाले अधिवेशन में गाया गया था. उसी साल अंग्रेज सम्राट जॉर्ज पंचम अपनी पत्नी के साथ भारत के दौरे पर आए हुए थे. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड हार्डिंग्स के कहने पर जॉर्ज पंचम ने बंगाल के विभाजन को निरस्त कर दिया था और उड़ीसा को एक अलग राज्य का दर्जा दे दिया था.
आम धारणा यह बन गई थी की यह गीत अंग्रेज सम्राट के आने पर लिखा गया है.
किंतु यह आप को बता दे की जब यह गाना लिखा गया था उस वक़्त भी गीत को लेकर बवाल उठा था. इस पर रवीन्द्रनाथ ने कहा था की ऐसे बेहुदे सवालों का जवाब देना मतलब खुदकी बेईज्ज़ती करने जैसी बात है.
जनता को गड़े मुरदे उखाड़ने में तो दिलचस्पी है नहीं ऐसे में उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसे लज्जास्पद तरीके आधुनिक अधिनायक करते हुए दिखायी देते है. अगर राष्ट्रगान का आपने अर्थ समझ लिया है और रवीन्द्रनाथ के देश प्रेम का ज्ञान आपको है. तब उस देश प्रेम का आभास जीने की एक कोशिश आपको सारे सवालों के जवाब तुरंत दे देंगी.
“जन गण मन अधिनायक” ये गीत के अधिनायक का अर्थ अग्रणी व्यक्ति जो अवाम का नेतृत्व करता है. जो भी देश प्रेमी उस वक़्त अपने देश के लिए आजादी का सपना लेकर यह नेतृत्व कर रहा था, ये वो अधिनायक है. इस बात से आज के नेताओं को ख़ुशी मनानी चाहिए की राष्ट्रगान में उनकी जय हो रही है. किंतु सरल और सकारत्मक सोच आज की तारीख में असाधारण है. जिसका नेतृत्व खुद आधुनिक भारत के अधिनायक कर रहे है.