उरी में सेना के कैंप पर हुए हमले के बाद देश गुस्से में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के उपर इसको लेकर काफी दवाब है.
देश प्रधानमंत्री मोदी से किसी ठोस कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है. ऐसा करने के पीछे कौन से कारण है आइए हम आपको बताते हैं.
1 – पाकिस्तान और आतंकवादियों को उनकी भाषा में सबक सिखाने के वादे के साथ सत्ता में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपर उरी आतंकी हमला और सैनिको की मौत का बदला लेने को लेकर काफी दवाब है. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं लोग उनकी तुलना भी मनमोहन सिंह तरह एक कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में करने लगेंगे.
2 – भाजपा के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि जो पाकिस्तान हमारे जवानों के सिर काट रहा है, उन्हें मनमोहन सरकार बिरयानी खिला रही है.अगर हमारी सरकार बनती है तो पाकिस्तान हमारे जवानों के सिर काटने जैसी हरकतें दोबारा नहीं कर पाएगा. अगर सरकार ने बदला नहीं लिया तो कांग्रेस आगी चुनावों में उनकी किरकिरी करने का कोई मौका नहीं छोड़ेगी।
3 – नरेंद्र मोदी ने यदि शहीद 17 सैनिकों की मौत का बदला नहीं लिया तो इससे सेना के मनोबल पर असर पड़ेगा तो वहीं कश्मीर के अलगाववादियों के हौंसले बुलंद होंगे.
4 – मोदी को बदला लेना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद और मसूद अजहर कश्मीर के हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद धमकी देते रहे हैं कि भारतीय सेना से इसका बदला लिया जाएगा.
5 – अगर इस बार मोदी ने आतंकियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की तो पाकिस्तान भविष्य में इससे भी बड़ी किसी वारदात को अंजाम दिलवा सकता है.पाकिस्तान सोचेगा कि भारत उसके परमाणु बमों से डर गया है.
6 – मोदी सरकार द्वारा चीनी सीमा पर टैंक और ब्रम्होस मिसाइल तैनात करने के बाद सहमा हुआ चीन भी भारत को आंखे दिखा सकता है. भारत की कमजोरी का लाभ उठाकर चीन पूर्वोत्तर भारत में आतंकी गुटों दी जाने वाली मदद को बढ़ा सकता है.
7 – अगर मोदी ने आतंकवाद को लेकर कोई माकूल जवाब नहीं दिया तो 15 अगस्त को लाल किए से उनकी बलूस्तिान और पाक अघिकृत कश्मीर को लेकर जारी मुहिम को धक्का लग सकता है.वहां के लोग मोदी को लेकर अपनी धारण बदलने पर मजबूर हो जाएंगे.जो मोदी कभी नहीं चाहेंगे.
8 – यदि नरेंद्र मोदी सेना पर आतंकवादी हमले का कोई जवाब नहीं देते हैं तो इससे उनके समथकों में भारी निराशा होगी.मोदी समर्थक आज भी उनके 56 इंच के सीने वाले बयान के दीवाने है.
9 – समाचार चैनलों में भाजपा की ओर से जाने वाले प्रवक्ताओं पर विपक्षी दलों के हमले बढ़ जाएंगे.साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं को भी आगमी चुनाव में जनता को जवाब देने में कठिनाई आएगी.
10 – यदि मोदी ने सैनिकों की मौत का बदला नहीं लिया तो न केवल संघ के लोगों का उनसे मोह भंग हो जाएगा बल्कि इससे पार्टी में उनकी लोकप्रियता और पकड़ भी कमजोर पड़ सकती है.
यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीमा पर शांति बनाए रखने को लेकर एक ओर जहां अंतराष्ट्रीय दवाब है तो वहीं दूसरी और भारतीय जनता का भी दवाब बढ़ रहा है.जैसे ही शहीदों के शव उनके घर पहुंचेगे तो प्रधानमंत्री मोदी पर दवाब और बढ़ जाएगा.
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