भारत-पाकिस्तान के बीच न क्रिकेट सम्बन्ध होना चाहिए ना ही राजनितिक और ना ही किसी और प्रकार का सम्बन्ध.
शिवेसना ने पाकिस्तान को लेकर अपना रुख हमेशा से साफ़ रखा है. उन्हें पकिस्तान से किसी प्रकार की दोस्ती का रिश्ता नहीं निभाना.
उसी बीच नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान जाने के लिए हामी भर देते हैं और नवाज़ शरीफ से लगभग 55 मिनट की मुलाकात में कई बातों पर सहमती भी तय की जाती है. चाहे वो दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक को लेकर हो या फिर दोनों देशों के मछुआरों को छोड़े जाने की.
पाकिस्तान ने भी आतंकवाद की निंदा की. लेकिन इसमें नया क्या है? लखवी को छोड़े जाने के बाद भी सीमा पर समय-समय पर सीज फायर होने के बाद भी नरेन्द्र मोदी पकिस्तान सार्क समिट में जाने को तैयार हो जाते हैं.
शिवसेना हमेशा से पाकिस्तान से दोस्ती बढाने के पक्ष में नहीं रही है. चाहे वो किसी भी प्रकार से हो. उद्धव ठाकरे ने इस पूरे मुलाकात को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा की पहले की सरकार और अब की सरकार में कोई बदलाव नहीं आया.
दरअसल, हालिया दिनों में भारत और पाकिस्तान के बीच कडुवे बोल के आदान प्रदान तो हुए ही, साथ ही अपनी कई हरकतों से पाकिस्तान ने जाता भी दिया की वो सुधरने वाला नहीं है. पिछले एक साल में पाकिस्तान की ओर से रिकॉर्ड संख्या में संघर्ष विराम की घटना हुई है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दो दिन पहले ही अपने बयान में भारत में परमाणु हमला करने की धमकी दी थी. उसके बाद हुए इस मुलाकात की विपक्ष के साथ साथ सरकार के सहयोगी दल भी आलोचना कर रहे हैं.
भाजपा सत्ता में आने से पहले हमेशा इसी बात पर जोर देती थी की आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती. आज उन्ही की सरकार बातचीत कर रही है.
सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना का कहना है की मोदी जब सक्षम हैं तो उन्हें पाकिस्तान में भी म्यांमार जैसी कारवाई करनी चाहिए.
फिलहाल नरेन्द्र मोदी के पास एक लम्बी लिस्ट है जिसकी मांग वो पाकिस्तान से कर रहे हैं.
1- जाकिर उर रहमान लाखवी के ट्रायल में तेजी, और उसको सजा.
2- भारत के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहीम को भारत को सौपना.
3- नियंत्रण रेखा पर शांति बनाये रखने को सुनिश्चित करना.
4- कश्मीर आन्दोलन को नैतिक समर्थन देने के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा देना रोकना .
5- भारतीय क्षेत्र में आतंकवादियों की घुसपैठ रोकना.
कहने की जरूरत नहीं की पाकिस्तान ने इनमे से सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया है. ठीक वैसे ही भारत ने भी पाकिस्तान की तरफ से लगे सारे आरोपों को ख़ारिज कर दिया.
तो मोदी और नवाज़ की इस मुलाक़ात से भी बहुत कुछ सकारात्मक नहीं निकला. आशा है की आगे कई स्तरों पर होने वाली मुलाकात में कुछ सकारात्मकता सामने आये.
फिलहाल तो सरकार अपने सहयोगियों की नाराज़गी का क्या जवाब देती है ये देखना होगा.
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