अगर करोड़ों खर्च करके खरबों कमाये जाए तो क्या कहेंगे?
फायदा चोखा है, धंधे की समझ है आदमी को. है ना?
पिछले साल मई में नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला था. तब से लेकर अब तक क्या सोशल मीडिया या न्यूज़ चैनल और क्या समाचार पत्र, सब नरेन्द्र मोदी के पीछे एक बात को लेकर पड़े थे. वो बात थी उनकी तकरीबन हर माह होने वाली विदेश यात्राएं.
तीखी आलोचनाओं से लेकर चुटकुलों तक का विषय बन गयी थी नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्रायें.
लेकिन इस सब के बीच एक बात थी नरेन्द्र मोदी ने कभी इन आलोचनाओं और मजाक के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला.
कुछ लोगों को लगा कि मोदी भी मनमोहना की तरह बोलने से बच रहे है. लेकिन बात कुछ और ही थी.नरेन्द्र मोदी खुद जवाब नहीं देना चाहते थे. वो चाहते थे कि उनकी विदेश यात्राओं से हुआ भारत का विकास और भारत के व्यापार की उन्नति ही जवाब बनकर सब आलोचकों का मुहं बंद कर दे.
हुआ भी कुछ ऐसा ही, कल तक जो विदेश यात्रों का मजाक उड़ा रहे थे या आलोचना कर रहे थे वो अब नरेंद्र मोदी या तो अपने मुंह पर ताला जड़ कर बैठे है या फिर हवा का रुख बदलते ही नरेन्द्र मोदी की तारीफ के पुल बाँधने लगे है.
करीब दो हफ्ते पहले किसी ने RTI डाल कर पुछा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राओं में कितना खर्चा हुआ है. प्रधनमंत्री कार्यालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार करीब 38 करोड़ के खर्च में ये सब विदेश यात्राएँ की गयी
कल आई इकनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इन विदेश यात्राओं की बदौलत अभी तक भारत में 19.78 बिलियन डॉलर मतलब करीब 1.13 लाख करोड़ का विदेशी निवेश वर्ष २०१४-15 में हुआ है. जो पिछले वित्तीय वर्ष से करीब 27 प्रतिशत ज्यादा है.
भारत का विदेशी मुद्रा भण्डार भी बढ़ रहा है. नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष सितम्बर माह में शुरू किये गए ‘मेक इन इंडिया ’ कैंपेन के बाद से विदेशी निवेश में गज़ब की तेज़ी आई है.
अमेरिका,चीन,सऊदी अरब,दक्षिण कोरिया,जापान,फ़्रांस जैसे देशों ने निवेश करना शुरू कर दिया है और आने वाले समय में ये निवेश और भी बढ़ेगा.
इस विदेशी निवेश के तात्कालिक प्रभाव अभी नहीं दिखेंगे इसी बात का फायदा मोदी के विरोधी उठा रहे है और जनता को भ्रमित कर इन विदेश यात्राओं को समय और धन की बर्बादी बता रहे है.
देखा जाए तो आज के समय में भारत विदेशी निवेश के लिए सबसे पसंदीदा स्थान बन गया है. भारत में व्यापार की असीम संभावनाएं है और यहाँ की अर्थ व्यवस्था भी दिन प्रतिदिन सुदृढ़ होती जा रही है.
संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत में हुआ FDI पिछले वर्ष की तुलना में 48% अधिक होगा. जो कि देश की अर्थव्यवस्था को और भी सुदृढ़ और देश को विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाने में सहायक होगा.
अधिक विदेशी निवेश से रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे जिससे बेरोज़गारी की बढ़ी समस्या भी कुछ हद तक आसान हो जाएगी.
अब तो बस इंतज़ार इस बात का है कि विदेशों से हुआ ये निवेश मूर्त रूप ले और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश यात्राएँ फिजूल खर्च ना लगकर देश के विकास का एक महत्वपूर्ण अंग बन जाए.
38 करोड़ लगाकर 1.3 लाख करोड़ कमाकर देने वाला किस जादूगर से तो कम नहीं ना.
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