रमजान का महिना आते ही सेक्युलर बनने की होड़ सी लग जाती है.
सभी बड़े नेता और राजनीतिक पार्टियाँ इफ्तार पार्टी देने लगते हैं. इस इफ्तार का रमजान से ज्यादा वोट पाने के लिए महत्व होता है और सारी राजनीति इसी दौरान चमकाई जाती है. यहाँ तक की इस वोटों की राजनीति ने आरएसएस को भी इफ्तार पार्टी देने पर मजबूर कर दिया. पर नरेन्द्र मोदी ना किसी इफ्तार पार्टी में शामिल हुए और ना ही इफ्तार पार्टी दी.
आज तक लगभग सभी प्रधानमंत्रीयों ने इफ्तार पार्टी दी है, चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी ही क्यों ना हो? पर नरेन्द्र मोदी इफ्तार पार्टी देने से क्यों बच रहे हैं ?
राष्ट्रपति की दो इफ्तार पार्टियों को किसी-ना-किसी बहाने से नरेंद्र मोदी ने अटेंड नहीं किया. कल भी राष्ट्रपति कि इफ्तार पार्टी के वक़्त ही मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक रखी और इफ्तार पार्टी में नहीं गए.
दरअसल, नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में भी अपने 12 साल के कार्यकाल में कभी इफ्तार पार्टी नहीं दी. कभी मुस्लिम टोपी नहीं पहनी और टोपी नहीं पहनने पर उन्हें काफी निंदा भी झेलनी पड़ी. पर नरेन्द्र मोदी ने जो ठानी वो बस ठान ही ली.
नरेन्द्र मोदी के नजदीकी ज़फर सरेशवाला का कहना है कि मोदी का मानना है कि रमजान एक पवित्र महिना है. इसका राजनीतिकरण हो रहा है और मोदी ऐसी राजनीति नहीं करना चाहते हैं.
सरेशवाला के अनुसार मोदी इसे पाप मानते हैं.
अगर ऐसा है तो हम भी यही चाहेंगे की त्योहारों के जरिये अपनी राजनीतिक रोटीयां सेंकना इन पार्टियों को बंद करना चाहिए.
सेक्युलर बनने के लिए ये नेता कुछ भी करने को तैयार हैं. सिर्फ और सिर्फ मुसलामानों के वोट पाने के लिए.
इस फोटो को अगर आप गौर से देखें तो इसमें दो मुस्लिम नेता है और दो गैरमुस्लिम. उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने मुस्लिम होते हुए टोपी नहीं पहनी है. पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने टोपी पहनी है.
और ये है भारतीय राजनीति.
स्वागत है आपका भारतीय राजनीति में.
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