नंदनी भौमिक – इस बात से तो हर कोई भली-भांति वाकिफ है कि महिलाएं कभी भी कमजोर नहीं रही है चाहे हम किसी भी सदी की बात क्यों न कर ले.
बात चाहे रजिया सुल्तान और रानी लक्ष्मीबाई से लेकर कल्पना चावला तक की क्यों न कर लें हर सदी में और हर फिल्ड में महिलाओं ने अपनी हिम्मत, अपनी योग्यता और अपनी काबिलियत के दम पर समाज में अपनी अहम भूमिका निभाने का काम किया है.
आज मैं यहां जिस महिला की बात करने जा रही हूं उसके बारे में आपने पहले शायद कभी ना सुना हो.
ये महिला ना तो कोई ऑफिसर है, ना कोई वकील और ना ही कोई अभिनेत्री. बल्कि ये महिला है एक महान ज्ञानी पंडित.
जी हां दोस्तों बिल्कुल सच है कि बंगाल की रहने वाली नंदनी भौमिक नाम की ये महिला बहुत ज्ञानी पंडित हैं. इनके शादी कराने का तरीका दूसरे पंडितों की तुलना थोड़ा हटकर है. लेकिन जब उन तरीकों के पीछे की वजह को आप जानेंगे तो आप भी मान जाएंगे कि वाकई में इनकी सोच बहुत लाजवाब है और समाज में बदलाव को लाने वालों में से है.
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे इस पितृसत्तात्मक समाज में पूजा-पाठ और सभी तरह के अनुष्ठान को पुरुष पुजारी ही संपन्न कराते हैं.
लेकिन बंगाल की रहने वाली नंदनी भौमिक ने पुरुष प्रधान इस समाज को चुनौती देने का काम किया है और उन्होंने समाज में पंडित के द्वारा करवाए जाने वाले सभी तरह के अनुष्ठानों को संपन्न करवाने का कार्य किया है और निरंतर कर रही हैं.
नंदनी भौमिक पुरुष पंडित की तरह शादी ब्याह कराती हैं लेकिन पुरुष पंडितों से बिल्कुल हटकर शादी कराने का उनका तरीका दिल को छू लेने वाला है. नंदनी भौमिक शादी के विधि विधान के दौरान जिन भी श्लोकों को बोलती हैं उसे वो अंग्रेजी और बंगाली में पढ़ा करती हैं जिससे कि दूल्हा और दुल्हन उन सारे श्लोकों के मतलब को भली-भांति समझ सके.
जिस दौरान वो शादी संपन्न करा रही होती हैं उस तरह बैकग्राउंड में रबिंद्र संगीत लगातार बज रहा होता है. जिसे उन्हीं के टीम के लोग बजा रहे होते हैं. नंदनी भौमिक जिस भी शादी को संपन्न कराने का कार्य करती हैं उसमें वो पिरी घोरानो और कन्यादान जैसी रस्मे नहीं कराया करती है. वैसे तो पूरी तरह शादी को संपन्न होने में पूरी एक रात लगती है लेकिन नंदिनी भौमिक 1 घंटे में ही किसी भी तरह के शादी को संपन्न करा दिया करती है.
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर नंदिनी भौमिक कन्यादान जैसी सबसे अहम रस्म को क्यों नहीं कराती हैं जिसे भारत में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है? तो हम आपको बता दें कि नंदिनी भौमिक कन्यादान इसलिए नहीं करवाती हैं क्योंकि उनका मानना है कि कन्यादान पिछड़े सोच की लगती है और इसमें समय भी बहुत अधिक लगता है.
नंदनी भौमिक कहती हैं कि “मैं उस सोच से इत्तेफाक नहीं रखती हूं जहां बेटियों को धन के रूप में माना जाता है और जब उसकी शादी की जाती है तो उसे दान स्वरूप दे दिया जाता है. आखिर महिलाएं भी पुरुषों की भांति इंसान है. इसी वजह से उन्हें वस्तु स्वरूप किसी को दान नहीं दिया जा सकता.”
बता दें कि नंदिनी भौमिक बंगाल की पहली महिला पंडित हैं लेकिन वो पेशे से पंडित नहीं बल्कि प्रोफेसर और एक ड्रामा आर्टिस्ट भी हैं.
पिछले 10 सालों से नंदिनी भौमिक शादियां करा रही हैं और अब तक उन्होंने 40 से भी अधिक शादियां संपन्न करवाई है. यहां तक कि नंदिनी ने कोलकाता और उसके आसपास के इलाकों में अंतर धार्मिक विवाह और अंतरजातीय विवाह भी संपन्न कराने का काम किया है.
नंदनी की दो बेटियां हैं और उन्होंने अपनी बेटियों की शादी भी उसी तरह संपन्न करवाई है. इतना ही नहीं नंदिनी अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा अनाथ आश्रम में दान किया करती हैं और उन बच्चों की मदद करती रहती हैं.
निश्चित रूप से नंदिनी भौमिक की सोच समाज में परिवर्तन को लाने वालों में से हैं. बंगाल की पहली महिला पंडित की सोच समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए एक समान है और बेहद उदार दिल की नंदनी समाज के हित में हर कार्य को करने के लिए हर पल अग्रसर और तत्पर रहती हैं.
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