जब लोग मर रहे हैं तो हम जश्न कैसे मना सकते हैं?
क्या जब आईपीएल मैच नहीं होगे तो खेल के मैदान पर पानी नहीं डाला जाएगा.
महाराष्ट्र सरकार को खुद सोचना चाहिए था कि अभी यह आयोजन यहाँ होना जरूरी है.
कल यदि आप शहर में गाड़ी चला के जा रहे हों. तब कोई आपकी गाड़ी की खिड़की पर आये तो उनसे भिखारी जैसा व्यवहार ना करें क्योकि वह किसान हो सकता था. सूखे के चलते अभी शहरों में इनका पलायन हो रहा है.
यह सब बातें अभिनेता नाना पाटेकर ने एक टेलीविजन को दिए अपने इंटरव्यू में बोली हैं. बेशक आपको लगे कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन नाना के शब्दों का प्रभाव नरेन्द्र मोदी पर सीधे पड़ा है.
क्योकि सभी जानते हैं कि नाना पाटेकर कभी किसी के खिलाफ निजी फायदे के लिए नहीं बोल सकते हैं. किसानों के लिए कार्य करते हुए इन्होनें अपनी आय का हिस्सा भी कई बार किसानों को दिया है. अभी जिस तरह से महाराष्ट्र में कई राज्यों में सूखा पड़ रहा है उसको लेकर नाना पाटेकर काफी चिंतित हैं.
सभी जानते हैं कि अगर यह सूखा और थोड़ा गंभीर हो गया तो राज्य के कई इलाकों से किसान आत्महत्या की खबरें आना शुरू हो जायेंगी. अभी सूखे से हालात ऐसे हैं कि जानवरों की मौत की ख़बरें तो आना शुरू हो चुकी हैं लेकिन इंसान की मौत को मीडिया भी नहीं दिखा रहा है.
कई क्षेत्रों में हालात इतने खराब है कि लोगों को पीने के पानी के लिए ही 8 घटों का सफ़र करने की खबरें भी आ रही हैं. अभी हम यह तो नहीं बोल सकते हैं कि हर बात के लिए प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया जाये. लेकिन उनके मंत्री जिस सुस्ती से काम कर रहे हैं वह जरूर चिंता का विषय है. कोई भी सांसद अपने चुनावी क्षेत्र में दौरे पर ना जाने क्यों नहीं जा रहा है. मोदी जी को तुरंत यह निर्देश सभी सांसदों को दे देना चाहिये कि वह अपने-अपने चुनावी क्षेत्र तुरंत चले जाएँ और जनता का इस सूखे के समय में दर्द सुनें.
देश के लगभग आधे हिस्से पर अभी सूखे का असर नजर आ रहा है. देश की राजधानी में ही गर्मीं का असर नजर आ रहा है. मसूरी जैसे हिल स्टेशन गर्म होते जा रहे हैं.
एक मुख्य बात जो कह गये नाना पाटेकर
क्या हम अंधे हैं कि हमें लोगों की मौत नजर नहीं आ रही है. हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है. अगर वक़्त रहते हालात समझ लिए होते तो पानी की ट्रेन की जरूरत नहीं पड़ती. चुप रहना भी बड़ा अपराध है. वो जो लोग मर रहे हैं वह अपने नहीं हैं तो कौन हैं?
हिल गयी केंद्र सरकार
नाना पाटेकर के इस ब्यान के आने तुरंत बाद ही दिल्ली की राजनीति में हलचल शुरू हो चुकी है. सूत्रों से खबरें अ आ रही हैं जल संसाधन मंत्रालय अब राज्यों के हालातों पर नजर रख रहा है. खुद प्रधानमंत्री जमीनी सच्चाई को जानना चाहते हैं और जो लोग सूखे पर मजाक कर रहे हैं उनको प्रधानमंत्री ने चेतावनी दे दी हैं.
महाराष्ट्र के मुखिया से भी बातचीत कर सच्चाई को जानने का प्रयास किया जा रहा है.
आगे स्थिति और भी खराब हो सकती है इसलिए सभी ने कमर कस ली है.
नाना पाटेकर की बुलंद आवाज का ही यह असर है कि अब उनके बोलने के बाद सूखे पर सभी लोग चिंतित हो गये हैं. उम्मीद करते हैं कि राज्यों की सरकार और केंद्र सरकार ऐसे कदम जरूर उठाएगी कि कोई कम से कम प्यासा नहीं मरेगा.
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