इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध शिव भक्त राज भोज ने 1050 इसवी में करवाया था. समय और आक्रमणों के साथ साथ ये मंदिर जीर्ण शीर्ण हो गया था. 17 वीं सदी में सिंधिया महाराज ने महाकाल मंदिर के साथ इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया था.
नाग पंचमी के दिन जब ये मंदिर खुलता है तो लाखों भक्तों की कतार दर्शन हेतु लग जाती है. करीब 2 लाख से ज्यादा लोग उस दिन सर्प शैय्या पर विराजित भगवान् शिव के दर्शन को आते है.