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नागचंद्रेश्वर मंदिर: साल में एक बार खुलता है ये अनोखा शिव मंदिर!

नागों का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है.

भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते है. भगवान् शिव भी अपने गले में भुजंग धारण करते है.

हमरे देश में नागों के बहुत से मंदिर है. इन सभी मंदिरों में सबसे अनूठा है उज्जैन  का नागचंद्रेश्वर मंदिर.

महाकाल मंदिर के प्रांगण में मंदिर की तीसरी मंजिल पर बना है ये अनोखा मंदिर. इस मंदिर के कई खासियत है. 

इस मंदिर में भगवान् शिव के विशेष रूप के दर्शन केवल साल में एक बार ही होते है. इस मंदिर के द्वार साल में एक बार नागपंचमी के दिन ही खोले जाते है. कहा जाता है कि नागपंचमी के दिन स्वयं नागराज तक्षक इस मंदिर में आते है और शिव की पूजा अर्चना करते है.

इस मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा भी एकदम अलग है. कहा जाता है कि ये शिव प्रतिमा करीब 1000 साल पुरानी है. ग्यारवीं सदी की इस प्रतिमा में भगवान् शिव और देवी पार्वती फैन फैलाये नाग पर विराजमान है. 

माना जाता है कि भगवान शिव की इस प्रकार की मूर्ति पूरे विश्व में कहीं नहीं है. ये मूर्ति नेपाल से लाकर यहाँ स्थापित की गयी थी. आम तौर पर सर्प शैय्या पर भगवान  विष्णु विराजमान होते है लेकिन इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा में भगवान् शिव, देवी पार्वती और गणेश नाग की शैय्या पर विराजमान है.

कहा जाता है कि नागराज तक्षक ने भगवान् शिव की कड़ी तपस्या की थी, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने तक्षक को सदा साथ रहने का वरदान दिया. उसके बाद से ही तक्षक ने भगवान् शिव के साथ निवास करना शुरू कर दिया.

इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध शिव भक्त राज भोज ने 1050 इसवी में करवाया था. समय और आक्रमणों के साथ साथ ये मंदिर जीर्ण शीर्ण हो गया था. 17 वीं सदी में सिंधिया महाराज ने महाकाल मंदिर के साथ इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार करवाया था.

नाग पंचमी के दिन जब ये मंदिर खुलता है तो लाखों भक्तों की कतार दर्शन हेतु लग जाती है. करीब 2 लाख से ज्यादा लोग उस दिन सर्प शैय्या पर विराजित भगवान् शिव के दर्शन को आते है.

कहा जाता है कि सर्पशैय्या पर विराजित भगवान् शिव के दर्शन करने से हर तरह के सर्प दोष मिट जाते है. इस मंदिर में शिव प्रतिमा के दर्शन भी सौभाग्य की बात है. कभी कभी ऐसा भी होता है कि पूरे दिन कतार में लगे रहने के बाद भी नागचंद्रेश्वर के दर्शन नहीं हो पाते और श्रद्धालु को दर्शन के लिए एक वर्ष का लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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