माना जाता है कि भगवान शिव की इस प्रकार की मूर्ति पूरे विश्व में कहीं नहीं है. ये मूर्ति नेपाल से लाकर यहाँ स्थापित की गयी थी. आम तौर पर सर्प शैय्या पर भगवान विष्णु विराजमान होते है लेकिन इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा में भगवान् शिव, देवी पार्वती और गणेश नाग की शैय्या पर विराजमान है.
कहा जाता है कि नागराज तक्षक ने भगवान् शिव की कड़ी तपस्या की थी, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने तक्षक को सदा साथ रहने का वरदान दिया. उसके बाद से ही तक्षक ने भगवान् शिव के साथ निवास करना शुरू कर दिया.