इतिहास

इन भारतीय हिंदुओं की मदद से नादिरशाह लूट ले गया था मयूर सिंहासन।

नादिरशाह – हमारे इतिहास में अक्सर ऐसी कई घटनाएं घटी हैं जो बेहद ही विस्मयकारी थी। क्योंकि इन घटनाओं के घटने के पीछे जो कारण थे वह वेहद ही आश्चर्यजनक थे।

ये घटनाएं विदेशी आक्रान्ताओं के कारण नहीं बल्कि खुद भारतीय लोगों की बड़ी आकांक्षाओं का परिणाम था। ऐसी ही कुछ घटना को याद किया जाए तो सबसे पहले भारत में शक राजाओं का आक्रमण, महमूद ग़ज़नवी का आक्रमण,कन्नौज के राजा जयचंद्र के साथ देने पर मोहम्मद गौरी का आक्रमण,राणा सांगा के आवाहन पर भारत में चंगेज खान और तेमूर लंग के वंशज बाबर का आगमन और फिर इसके बाद मुग़ल साम्राज्य की पीढ़ी ने ही भारत पर शासन किया है।

ऐसे ही भारत पर आक्रमण हुए हैं, जिनका कारण खुद भारतीय रहे हैं।लेकिन आज हम बात करने वाले हैं 18वीं सदी की एक बड़े लूटपाट वाले नादिरशाह द्वारा किये गए हमले की।अगर सामान्यतौर पर देखा जाए तो उस समय यह आक्रमण बहुत नुकसानदायक रहा क्योंकि इस आक्रमण ने ना केवल भारतीयों को स्थानीय तौर पर बल्कि आर्थिक तौर पर भी खूब नुकसान पहुंचाया था।

अब बात करते हैं कि आखिर नादिरशाह कैसे इस लूटपाट को अंजाम दे सका तो आपको पता होगा औरंगजेब मुग़ल सल्तनत का आखिरी योग्य बादशाह था। उसकी मृत्यु के बाद दिल्ली की गद्दी संभालने के लिए कोई योग्य उत्तराधिकारी ना होने के कारण दिल्ली में औरंगजेब के पुत्रों के बीच बिद्रोह हो गया।जिसका फायदा मराठा, पंजाबी और दूसरे छोटे-छोटे राजवाड़े उठाना चाहते थे।

आपको बता दें कि मुगल साम्राज्य के अधीन उस समय बहुत सारे छोटे-बड़े रजवाड़े शामिल थे जो जैसे- अवध यानी लखनऊ के नवाब, बंगाल के नवाब इत्यादि. इन्हें इस प्रदेश पर शासन करने का अधिकार तो प्राप्त था लेकिन मुग़ल सम्राट की अधीन होकर। इसलिए इनके अन्दर हमेशा से यह भावना थी कि ये खुद को अपने क्षेत्र का राजा घोषित कर सकें और जब मुग़ल साम्राज्य का विभाजन होने लगता है तो परिस्थितियों का फायदा उठा कर ये लोग खुद को वहां का राजा घोषित कर देते हैं।

यह बात रही मुग़ल सल्तनत के रजवाड़े की लेकिन एक दूसरी बात पर गौर करना होगा कि उस समय महाराष्ट्र में मराठों का शासन हुआ करता था और दिल्ली सल्तनत पर अपना नियंत्रण कायम करने के लिए मराठा सल्तनत ने काफी लंबा संघर्ष किया था। वहीँ उत्तर में देखें तो सिख समुदाय भी दिल्ली पर शासन करने के लिए उतावला था और जैसे ही औरंगजेब की मृत्यु हुई तो राजनीतिक स्थिरता का फायदा उठा कर 1793 में नादिरशाह दिल्ली पर आक्रमण कर देता है इस युद्ध की खास बात यह रही कि नादिरशाह सिर्फ लूटपाट के मकसद से ही भारत आया था और20 हजार मराठाओं तथा 10000 सिखों ने नादिरशाह का साथ दिया था। और इन हिंदुस्तानियों के बल पर एक बार फिर एक विदेशी शासक भारत लूटने में कामयाब हो सका।

आखिरकार मुगल साम्राज्य का पतन होता है और दिल्ली पर मराठा साम्राज्य कायम हो जाता है लेकिन मराठाओं किए खुशी ज्यादा दिन नहीं चल पाती है और जल्दी ही दिल्ली पर अंग्रेजों का कब्जा कायम हो जाता है।

इससे निष्कर्ष निकलता है कि भारत पर जितने भी आक्रमण विदेशी आक्रांता आए हैं सभी ने हिंदुस्तानियों के बल पर ही भारत को लूटा तथा भारत पर राज किया फिर चाहे वह मुग़ल आक्रमणकारी हो या यूरोप के आक्रान्ता।

Kuldeep Dwivedi

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