स्वर्ग की अप्सराओं की सुंदरता और उनकी मादकता पर तो सभी देवता, ऋषि-मुनि और असुर भी कायल हुआ करते थे. बताया जाता है कि स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराएं इंद्रलोक की शोभा बढ़ाया करती थीं.
इतना ही नहीं कई बार ऋषि-मुनियों के घोर तप को भंग करने के लिए इन सुंदर अप्सराओं का सहारा लिया जाता था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवता और असुर दोनों ही अपने निजी कार्यों के लिए इन अप्सराओं की मदद लिया करते थे.
जब बात स्वर्ग की सुंदर-सुंदर अप्सराओं की हो रही है तो हम आपको बताने जा रहे हैं इन अप्सराओं में सबसे सुंदर और मादक अप्सरा ऊर्वशी के जन्म से जुड़ी एक बेहद ही दिलचस्प पौराणिक गाथा.
नर-नारायण से जुड़ी है ऊर्वशी के जन्म की कहानी
स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा ऊर्वशी की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा का वर्णन वामन पुराण के सातवें अध्याय और भागवत पुराण के चौथे अध्याय में मिलता है.
इस कथा की शुरूआत भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण के बद्रिकाश्रम में तप करने के दौरान होती है. मान्यताओं के अनुसार नर-नारायण को बद्रिकाश्रम में भगवान शिव की तपस्या करते देख देवराज इंद्र को अपना सिंहासन हाथ से जाने का डर सताने लगा. इंद्र को लगा कि कहीं भगवान शिव नर-नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर इंद्र का सिंहासन ही उन्हें ना सौंप दें.
अपने इसी डर के चलते देवराज इंद्र ने पहले तो नर-नारायण को लोभ-मोह में फंसाकर उसके बाद डर दिखाकर उनकी तपस्या भंग करनी चाही लेकिन वो इसमें असफल रहे.
तपस्या भंग करने के लिए इंद्र ने अप्सराओं को भेजा
जब नर-नारायण की तपस्या को देवराज इंद्र भंग नहीं कर पाए तो उन्होंने कामदेव और वसंत ऋतु के साथ इंद्रलोक की समस्त अप्सराओं को नर-नारायण की तपस्या को भंग करने का आदेश दिया.
जिसके बाद कामदेव और वसंत ऋतु देव के साथ बद्रिकाश्रम पहुंचकर ये सभी अप्सराएं नृत्य करके नर-नारायण की तपस्या को भंग करने का प्रयास करने लगीं.
नारायण ने अपने उरु भाग से दिया ऊर्वशी को जन्म
इन अप्सराओं को नृत्य करते देख नर और नारायण यह समझ गए कि इंद्र ने ही इन अप्सराओं को उनका तप भंग करने के लिए भेजा है और इन अप्सराओं को भी लगा कि वो अपनी सुंदरता व मादकता से उनका तप तोड़ने में कामयाब हो जाएंगी.
अपनी सुंदरता और मादकता पर अहंकार करनेवाली इन अप्सराओं का घमंड तोड़ने के लिए नारायण ने अपने उरु यानी जांघों से एक सुंदर अप्सरा को जन्म दिया. जिसकी सुंदरता और मादकता को देखकर स्वर्ग की सारी अप्सराएं आश्चर्यचकित रह गईं. चूंकि इस सुंदर अप्सरा का जन्म नारायण के उरु भाग से हुआ था इसलिए नारायण ने उसका नाम उर्वशी रखा.
गौरतलब है कि ऊर्वशी को अपने उरु भाग से जन्म देकर नर-नारायण ने इंद्र समेत उन समस्त अप्सराओं के अभिमान को तोड़ दिया जो उनके तप को भंग करना चाहते थे. हालांकि बाद में नर-नारायण ने सुंदर अप्सरा ऊर्वशी को देवराज इंद्र को भेंट के रुप में दे दी, जिसके बाद दूसरी अप्सराओं के साथ ऊर्वशी भी इंद्रलोक जाकर रहने लगीं और वहां की शोभा बढ़ाने लगीं.