राधा कृष्ण और उनका रास.
सोचते ही मन में एक मनोरम छवि उभर कर आ जाती है.
अब ज़रा सोचिये कि राधा कृष्ण के रास का वो दैविक नज़ारा आपको देखने को मिले तो?
जी हाँ ये बात एक दम सच है आज भी राधा और कृष्ण रचाते है रास और हजारों गोपियाँ भी होती है उनके साथ. लेकिन इस दैविक रास को देखने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसी रहस्यमयी बातें कर रहे हो, लेकिन हमारा देश रहस्यमयी कहानियों का भण्डार है.
यहाँ एक से बढ़कर एक किस्से कहानियां और किवदंतियां मिलती है. ऐसी ही एक कहानी है वृन्दावन में स्थित निधिवन की.
वृन्दावन में एक बहुत बड़ा बागीचा है जिसे निधिवन कहा जाता है. निधिवन में बहुत से मंदिर भी है. दिन में निधिवन श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है लेकिन शाम होते ही हो जाते है निधिवन के दरवाजे सबके लिए बंद.
यहाँ तक कि वन में रहने वाले पंछी भी अपना बसेरा छोड़कर उड़ जाते है कहीं ओर.
आखिर ऐसा क्या होता है जो इन्सान और पंछी चले जाते है यहाँ से?
जानकारों और यहाँ के स्थानीय लोगों की माने तो उनका कहना है कि निधिवन में आज भी स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण राधा और गोपियों के संग यहाँ हर शाम रास रचाते है. लेकिन स्थानीय लोगों का ये भी कहना है कि इस दिव्य रास को देखने का सौभाग्य किसी को भी नहीं मिलता.
यदि कोई इस दिव्य रास को देखने की गलती कर बैठता है तो उसे कठोर दंड मिलता है.
आखिर क्या होगा यदि किसी ने देख लिया राधा कृष्ण का ये दिव्य रास.
कहा जाता है कि राधा कृष्ण का दिव्य रास देखने वाला व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो बैठता है.
कहा जाता है कि 10 वर्ष पहले जयपुर से आये एक अनन्य कृष्ण भक्त ने शाम होने के बाद चोरी छुपे निधिवन में राधा कृष्ण के अलौकिक रास को देखने की हिम्मत की. वृन्दावन के लोगों के अनुसार अगले दिन सुबह वो कृष्ण भक्त निधिवन के दरवाजे के सामने बेसुध हालत में पड़ा था और जब उसे होश आया तो उसका मानसिक संतुलन खो गया था.
निधिवन में राधा का बंशी चोर मंदिर भी है और एक राधा कृष्ण का मंदिर भी है.
निधिवन के आस पास के घरों में निधिवन की तरफ खुलने वाली खिड़की नहीं बनायीं जाती. निधिवन में केवल राधा और कृष्ण ही रास नहीं रचाते अपितु राधा कृष्ण के साथ हजारों गोपीयां भी रास में हिस्सा लेती है. इन गोपियों के बारे में कहा जाता है कि निधिवन में मौजूद तुलसी के पौधे ही संध्याकाल में गोपियाँ बनकर रास में हिस्सा लेती है.
निधिवन में राधा कृष्ण का रास ही अकेली रहस्यमयी बात नहीं है.
सस्थान में और भी बहुत सी रहस्यमयी घटनाएँ होती रहती है. निधिवन में रंगमहल नामक स्थान पर रोज़ रात को राधा और कृष्ण रात्रि विश्राम के लिए आते है. शाम को मंदिर बंद होने के समय रोज़ रंगमहल में सेज सजाई जाती है. इसके साथ ही पीने का पानी, श्रृंगार सामग्री और दातुन भी रखा जाता है.
मंदिर के पंडित कहते है कि जब सुबह रंगमहल के पट खोले जाते है तो सब कुछ अस्त व्यस्त मिलता है जैसे कि किसी ने उस स्थान का उपयोग किया हो
निधिवन में रास और रंगमहल के अलावा भी एक और रहस्य है जिसके बारे में कोई भी ठीक ठीक नहीं बता सकता. ये रहस्य है यहाँ के पेड़ों का .
आम तौर पर जहाँ पेड़ों की शाखाएं ऊपर की ओर बढती है वहीँ निधिवन के पेड़ों की शाखाएं जमीन की ओर बढती है. शाखाएं इस प्रकार बढ़ जाती है कि रास्ता बनाने के लिए बांस के खम्बों के सहारे शाखाओं को ऊपर रखना पड़ता है. निधिवन में लगे वृक्षों और तुलसी के पौधों को कोई नुक्सान भी नहीं पहुंचाता है. कहा जाता है जो भी कोई इन पौधों को नुक्सान पहुंचाता है या फिर शाखा तोड़कर घर ले जाता है तो उस पर विपदा आ जाती है.
देखा आपने कितना रहस्यमयी है निधिवन.
अब यहाँ के बारे में प्रचलित किस्से कहानियों में कितनी सच्चाई है ये तो तभी पता चलेगी जब खुद अपनी आँखों से राधा कृष्ण का रास देखेंगे. अब यदि कहानी के हिसाब से रस देखने वाले अपना संतुलन खो बैठते है तो CCTV कैमरा लगाकर भी तो रिकॉर्डिंग की जा सकती है.
बाकि तो ये सब अपनी अपनी श्रद्धा का विषय है मानने वाले सभी रहस्यों को सच मानते है और ना मानने वाले इन सब रहस्यों पर संदेह करते है.
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