प्राचीनकाल में जो भी मंदिर बनाए जाते थे वह वास्तु, खगोल और भौतिक विज्ञान का ध्यान रखकर बनाए जाते थे, जिसके कारण वे मंदिर आज भी सुरक्षित और चमत्कारी लगते हैं.
भारत में विज्ञान का ज्ञान युगों पहले हो चुका था.
भारत में कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनका संबंध न तो वास्तु से है, न खगोल विज्ञान से और न ही खजाने से लेकिन इन मंदिरों का रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है.
कन्याकुमारी मंदिर :
यह मंदिर समुद्री तट पर बना हुआ है, जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा होती है. आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं.
प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकर बन गए.
करनी माता का मंदिर :
करनी माता का यह मंदिर जो बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है. करणी देवी के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है. इस मंदिर में हजारों काले चूहे रहते हैं इसलिए इसको चूहों का काबा भी कहते हैं. यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटकर चलना पड़ता है. इन चूहों को भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा भी की जाती है. अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आ गया तो अपशकुन माना जाता है और सफेद चूहा देख लिया तो मनोकामना पूर्ण मानी जाती है.
शनि शिंगणापुर :
यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है. इसकी विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर है. यहां शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं. दरवाजों की जगह सिर्फ पर्दे लगे हैं. यहां कभी चोरी डकैती नहीं होती.
अजंता–एलोरा के मंदिर :
अजंता-एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं. ये गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं. 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं. इन गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज के रूप में संरक्षित किया गया है. इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था. इन गुफाओं के रहस्य पर आज भी शोध किया जा रहा है.
ज्वाला मंदिर :
ज्वालादेवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है. यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है. इस जगह का एक अन्य आकर्षण ताम्बे का पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है. इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है.
बहुत सारे लोगो ने इन रहस्यों को जानने की कोशिश की लेकिन ये रहस्य इतने गहरे थे कि वैज्ञानिक भी इसका पता लगाना नाकाम रहे.