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म्यांमार में घुसकर मारा… अब पाकिस्तान की बारी है

कभी भी हमारे यहाँ कोई आतंकी घटना होती है तो उसके बाद शायद ही कभी समय पर उस पर ध्यान दिया या कार्यवाही की जाती है.

चाहे वो मुंबई बम ब्लास्ट हो या 26/11 या देश में हुयी कोई भी छोटी बड़ी आतंकी घटना.

लाल फीताशाही , बयानों, आरोपों- प्रत्यारोपों के बीच वो मुद्दा और घटना वक्त के साथ भुला दिया जाता है और अगर ज्यादा हुआ तो भरी भरकम भाषण देकर जनता को ये यकीन दिला दिया जाता है की बस इस बार तो देखिये बस ईंट का जवाब पत्थर से देंगे. और अब तो जनता को भी आदत हो गयी है जब भी कोई घटना होती है तो वो भी यही बोलती है अरे यार कुछ होने वाला नहीं.

ज़रा सोचिये अगर सही समय पर ईंट का जवाब पत्थर से दे दिया जाये इन आतंकियों को तब क्या होगा?

कुछ रोज़ पहले भारत के रक्षा मंत्री ने कहा था की आतंकवाद को ख़त्म करने के लिए जवाबी हमले के साथ साथ पहले हमला भी करना होगा. मतलब ये कि वो मारे इस से पहले उनको मार दो.

इस बयान की आलोचना भी की गयी, मज़ाक भी बनाया गया और शायद जनता ने भी इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया.

4 जून मणिपुर, भारतीय सेना की एक टुकड़ी पर आतंकी हमला किया गया और 18 के करीब जवानों को बेरहमी से मार दिया गया.

इस घटना की पूरे देश में भर्त्सना की गयी और बहुत से लोगों ने तो ये भी कहा की जिस देश की सेना सुरक्षित नहीं है वो देश कैसे सुरक्षित होगा. इसके अलावा समाज के हर तबके से इस पर लगभग एक जैसी प्रतिक्रिया आई कि कब तक चलेगा ऐसा और कितना वक्त लगेगा प्रतिक्रिया में या कोई प्रतिक्रिया होगी भी नहीं.

9 जून 2015, घटना के चार दिन बाद…

अचानक खबर आती है की भारतीय सेना ने पहली बार दुसरे देश में घुसकर मणिपुर की घटना के जिम्मेदार आतंकियों के समूह के कैंप पर म्यांमार सरकार की मदद से हमला कर 20 से अधिक आतंकियों को मार गिराया और उनके दो कैंप नष्ट कर दिए. ये अपनी तरह की पहली क्रॉस कंट्री सर्जिकल स्ट्राइक थी. इतनी त्वरित कार्यवाही किसी आतंकी घटना के बाद भारत में कभी नहीं की गयी और वो भी दुसरे देश में जाकर.

सूत्रों के अनुसार भारत की गुप्तचर एजेंसियों को खबर मिली की मणिपुर नरसंहार के जिम्मेदार आतंकी समूह के आतंकवादी म्यांमार में है, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय ने म्यांमार की सरकार से बात करके इस हमले को प्लान किया गया. इस हमले में भारतीय सेना के साथ साथ भारतीय वायुसेना ने भी हिस्सा लिया. भारत सेना की स्पेशल फ़ोर्स के जवानों ने कल म्यांमार बॉर्डर के अन्दर घुस कर रणनीति के तहत हमला कर दो आतंकी कैम्पों को नष्ट कर दिया और 20 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया .

भारतीय सेना के किसी भी जवान को इस मुठभेड़ में कोई चोट नहीं लगी न ही कोई हताहत हुआ. भारतीय वायु सेना इस मिशन में स्टैंड बाय के रूप में थी, स्थिति बिगड़ने पर वायुसेना भी हरकत में आती पर उसकी ज़रूरत ही नहीं पड़ी .

4 जून को मणिपुर में भारतीय सेना के जवानों पर हुआ हमला

भारत के रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने सेना को इस मिशन की सफलता पर बधाई दी और कहा दोस्ती और आतंकवाद साथ साथ नहीं चल सकते, म्यांमार ऑपरेशन शुरुआत है अगर जरुरत पड़ी तो भारत के पश्चिमी बॉर्डर पर भी ऐसी कार्यवाही की जा सकती है.भारतीय सेना के एडिशनल डायरेक्टर जनरल सिंह ने बताया की गुप्तचर एजेंसियों को खबर मिली थी की आतंकी मणिपुर जैसी घटना को फिर से अंजाम देने की कोशिश में है, इसके बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा ये फैसला लिया गया. ये भी खबर है कि  सुरक्षा सलाहकार इस मिशन के लिए प्रधानमंत्री मोदी के बांग्लादेश दौरे से हट गए थे.

आतंकियों पर त्वरित कार्यवाही और इस मिशन की सफलता ने साबित किया है कि  अगर सेना और सरकार चाहे तो वो आतंकवादियों को मुंह तोड़ जवाब दे सकती है. शुरुआत हो चुकी है और इसके लिए भारत सरकार और भारतीय सेना और उसके बहादु जवान धन्यवाद के पात्र है. इस तरह के ऑपरेशन से सेना का भी भरोसा बना रहता है कि वो सिर्फ कटपुतली भर नहीं है, सही निर्णय और समय पर निर्णय लेने पर सेना आतंकवादियों के लिए आतंक बन सकती है. आशा करते है कि ये सिर्फ एक मात्र मिशन नहीं हो आगे भी आतंकियों से को  उन्ही की  भाषा में जवाब दिया जायेगा.

और इस मिशन के बाद उन देशों को भी सीधा सन्देश दे दिया गया है की सुरक्षा के मामले में अब भारत किसी तरह की ढील नहीं करेगा और आतंकवाद पर किसी प्रकार की ढील नहीं बरती जाएगी.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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