पाकिस्तानी नागरिकता – भारतीय क्रिकेट ने दुनिया को कई महान और विश्व स्तर के खिलाड़ी दिए है जिन्होंने क्रिकेट को एक नई उंचाई दी है.
आज हम आपको ऐसे ही एक भारतीय खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे है जिसने भारत में शुरूआती दौर के क्रिकेट में खूब नाम कमाया था. उस महान खिलाड़ी का नाम सैयद मुश्ताक अली है जो अपनी धुआंधार बल्लेबाजी और तेजी से दौड़ने के लिए मशहूर थे.
उस समय सैयद मुश्ताक अली की लोकप्रियता इस कदर थी की एक बार जब लोगों को पता चला कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट में उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया है तो लोगों ने इस बात का कोलकाता में जमकर विरोध प्रदर्शन किया ये बात 1946 की है जब ऑस्ट्रलियाई टीम भारत में टेस्ट मैच खेलने आई थी.
पाकिस्तानी नागरिकता –
1 – जन्म और शुरूआती जीवन-
सैयद मुश्ताक अली का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में 17 दिसंबर 1914 को हुआ था. वे बचपन से ही क्रिकेट की तरफ आकर्षित थे. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1933-34 में डगलस जॉर्डन की अगुआई में एमसीसी टीम के खिलाफ भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए की थी. उस समय वे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी थे, उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 19 साल 19 दिन थी.
2 – क्रिकेट करियर-
सैयद मुश्ताक ने अपने क्रिकेट करियर में 11 टेस्ट मैच खेले थे उन्होंने अपने करियर का डेब्यू मैच इंग्लैंड के खिलाफ 5 जनवरी 1934 को खेला था. इन 11 टेस्ट मैच में उन्होंने 32.21 की औसत से 612 रन बनाये थे. वे ऐसे पहले भारतीय खिलाड़ी भी बने जिसने विदेशी जमीन पर पहला शतक लगाया था. उन्होंने ये शतक 1936 में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में लगाया था. आज के हिसाब से देखा जाए तो उनका अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा लेकिन उस समय यही बहुत बड़ी बात थी की किसी भारतीय क्रिकेटर ने विदेशी जमीन पर पहला शतक लगाया हो. हालाँकि घरेलू क्रिकेट में उन्होंने कई ऊँचाइयों को छुआ था. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कुल 226 मैच खेले थे जिनमे उन्होंने 13213 रन बनाये थे, इसमें 30 शानदार शतक और 63 अर्धशतक शामिल थे. वहीं रणजी ट्रॉफी में उन्होंने 49.1 के औसत से कुल 5013 रन बनाये थे.
3 – जब दो बार ठुकराई पाकिस्तानी नागरिकता-
जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो महान खिलाड़ी सैयद मुश्ताक अली को दो बार पाकिस्तानी नागरिकता दी गई लेकिन देशभक्त मुश्ताक अली ने दोनों ही बार पाकिस्तान का ये प्रस्ताव ठुकरा दिया. मुश्ताक अली के बेटे गुलरेज अली बताते है कि उनके पिता को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुल्फीकर अली भुट्टो ने पाकिस्तानी नागरिकता दिए जाने और पाकिस्तान में आने का न्यौता दिया था लेकिन मुश्ताक अली ने उसे ख़ारिज कर दिया ये बात 1948 की थी. उनके बेटे के अनुसार उन्हें दूसरा प्रस्ताव तब मिला जब भुट्टो 1970 में इंदिरा गाँधी से शिमला में मिले थे. तब उन्होंने भुट्टो से कहा था “भारत मेरा घर है, इसने मुझे सब कुछ दिया और मैं पूरी जिंदगी यहीं रहूँगा.”
4 – मृत्यु-
सैयद मुश्ताक अली 91 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह गये. उनका देहांत इंदौर में 18 जून 2005 को हुआ. भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. उनके नाम पर हर साल एक टी-20 सीरीज भी आयोजित की जाती है जिसमे सभी घरेलू टीम शामिल होती है.
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