फिल्में जो देखनी चाहिए – फिल्में देखना सभी को अच्छा लगता है।
हालांकि सबकी अपनी-अपनी पसंद जरूर होती है। आमतौर पर माना जाता है कि दर्शक मनोरंजन के लिए फिल्में देखते हैं। ये बात सच भी है। यूं एक फिल्म देखकर किसी की जिंदगी नहीं बदल जाती है। हां, लेकिन कुछ फिल्में होती हैं, जो हमारे दिलों पर गहरी छाप छोड़ती हैं और फिल्म का मैसेज लंबे समय तक हमारे साथ भी रहता है।
अधिकतर फिल्में युवाओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं और वो फिल्मों से बहुत कुछ लेते भी हैं। जब से एक युवा होश संभालता है, तब से लेकर 25 साल की उम्र तक वो पढ़ाई, करियर, जॉब, दोस्त व रिलेशनशिप्स वगैरह में उलझा रहता है। फिल्मों में भी आमतौर पर यही मुद्दे उठाए जाते हैं। परंतु सैकड़ों फिल्मों में से कुछ ही फिल्में होती हैं, जो मैसेज खूबसूरती से कैरी करती हैं और सीधा दिल को छूती हैं।
इसलिए आज हम आपको ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे, जिससे आप बड़ी आसानी से कनेक्ट हो जाएंगे। सही उम्र निकल जाने से पहले फिल्में जो देखनी चाहिए ।
फिल्में जो देखनी चाहिए –
- जिंदगी ना मिलेगी दोबारा
फिल्म का मैसेज यह है कि यह जिंदगी हमें एक बार ही मिली है, इसलिए हमें जीने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहिए। इसका यह मतलब नहीं है कि सभी विदेश में जाकर मजे करें। लेकिन अक्सर ही हम डर में या संकोच में ज़िन्दगी के मजे लेने भूल जाते हैं। जबकि लौटा हुआ वक्त्त फिर नहीं आता, इसलिए दिल की बात को नजरअंदाज करने के बजाए, उसकी सुन लेनी चाहिए।
जिंदगी में हमेशा वो नहीं होता है जो हम चाहते हैं और सबसे ज्यादा असफलता तो युवावस्था में ही मिलती है। हम अक्सर ही किसी और की गलती की सजा खुद को देते रहते हैं। फिल्म से हमें सीख मिलती है कि हमें खुद पर तरस नहीं बल्कि प्यार करना चाहिए। इतना प्यार कि हम किसी और के प्यार के मोहताज न रहें।
- स्वदेस
जब करियर बनाने की बात आती है तो सभी इंजीनियरिंग या मेडिकल साइंस पढ़कर किसी बड़ी पोस्ट पर पहुंचकर बहुत पैसा कमाने का सपना देखते हैं। हम में से बहुत कम लोग ही जमीन से जुड़े रहने का सोचते हैं। ‘स्वदेस’ हमें एक अलग दिशा में सोचने के लिए मजबूर करती है। ये हमें चकाचौंध भरे सपनों से परे कोई एक सहज सा सपना देखने के लिए प्रेरित करती है।
- रॉकेट सिंह
यह कोई बहुत फेमस फिल्म नहीं है। मगर यदि आपने अभी-अभी नौकरी करना शुरू किया है तो आप फिल्म से जुड़ाव महसूस कर पाएंगे। अपनी पहली जॉब से बहुत कम लोग खुश होते हैं। लेकिन वो फिर भी इसमें फंसे रहते हैं और बाहर निकलने की कोशिश ही नहीं करते। अगर वो बाहर निकलकर देखें तभी खुद को पा सकेंगे।
- प्यार का पंचनामा
यह फिल्म मॉडर्न युवा की लाइफस्टाइल को दिखाती है। आज की जनरेशन को प्यार से सुकून कम और सिरदर्द अधिक मिलता है। ऐसे में फिल्म देखते वक्त आप खुद को परदे के उस तरफ पाते हैं और आपको लगता है कि कोई आपके साथ है। इससे ज्यादा कुछ नहीं तो भी आपका मन तो जरूर हल्का हो जाता है।
- लक्ष्य
यंग जनरेशन की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है कि उन्हें क्या करना है यह पता ही नहीं है। वो अपने फ्यूचर को लेकर क्लूलेस हैं। लेकिन यह डिप्रेस होने की बात नहीं, बल्कि यह तो बस ज़िंदगी का एक दौर है। इस दौर से पार पाकर यदि आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर लें तो मुश्किल पहाड़ भी फतह कर सकते हैं। यही तो इस फिल्म का भी कहना है।
- रंग दे बसंती
युवाओं का खून ‘गर्म खून’ होता है। हमें अक्सर ही सिस्टम पर बड़ा गुस्सा आता है। हम इस पर बहस तो करते हैं, मगर जब ग्राउंड लेवल पर काम करने की बात आती है तो बेहद कम युवा देश की बेहतरी में योगदान देते नजर आते हैं। जबकि उम्र के इस दौर में तो हम कुछ भी हासिल कर सकने की काबिलियत रखते हैं। इन्हीं मुद्दों पर आधारित फिल्म रंग दे बसंती अपने आप में बेहद ख़ास है। यह फिल्म हमारे अंदर के क्रांतिकारी को जगाने की एक भावपूर्ण कोशिश है।
ये है वो फिल्में जो देखनी चाहिए – यदि आपने अब तक इनमें से कोई फिल्म ना देखी हो तो आपको देख लेना चाहिए। यकीन मानिए कुछ नया और अच्छा ही सीखने को मिलेगा।