दुनिया भर के मशहूर लेखकों की बात करें तो बोल्ड और बेबाक लेखन की वजह से कहीं ना कहीं उनके नाम पर विवाद होते ही रहे है.
ऐसे में इस्लामिक बहुल देशों में तो खुले विचारों वाले लेखन का फलना और फूलना थोड़ा मुश्किल ही दिखाई देता है. लेकिन कट्टर मुस्मिल आबादी वालो देशों के लेखक भी कुछ ऐसा लेखन कर चुके है कि जिसकी वजह से या तो उन्हें कानूनी पचड़ों में फंसना पड़ा या फिर उनकी जान भी जोखिम में पड़ चुकी है.
आईए मिलते है बेबाक लेखन के लिए मशहूर मुस्लिम लेखक से.
सलमान रुश्दी-
बुकर जैसा मशहूर पुरुस्कार अपने नाम कर चुके सलमान रुश्दी मिडनाईट चिल्ड्रन जैसा मशहूर उपन्यास लिख चुके है.
उनके उपन्यास द सेनेटिक वर्सेज (शैतानी आयते) की वजह से उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. उनकी ये किताब बैन कर दी गई थी. इस पुस्तक पर ईशनिंदा करने का इल्जाम लगा था.
1989 में ईरान के आध्यात्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्लाह खोमैनी ने रेडियो पर रुश्दी को मारने के लिए फतवे का ऐलान किया था.
इस तरह इस बुक की वजह से रुश्दी की जान पर बन आई थी और उन्हे पुलिस सुरक्षा में रहना पड़ा. उनकी इस किताब के विरोध में दुकानों पर आग के गोले बरसाए गए. साथ ही इसके विरोध मे रैलियां निकाली गई. जो भी लोग इस बुक के पब्लिकेशन से जुड़े थे उनपर भी जानलेवा हमले किए गए.
हिज्जबुल्ला के द्वारा सलमान रुश्दी को बम धमाके में मारने का विफल प्रयास भी किया गया था. रुश्दी फिलहाल ब्रिटिश नागरिक है
हामिद मीर –
ये पाकिस्तान के एक प्रमुख पत्रकार है, जो जीओ टीवी में एकंरिंग कर चुके है.
कई मशहूर अखबारों में काम कर चुके है. ये फिलिस्तीन, इराक, अफगान, पाकिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर में युद्ध की कवरेज जैसा काम अपनी जान जोखिम में डालकर कर चुके है. साल 2014 में कुछ हमलावरों ने इन पर गोलियां चला दी थी. लेकिन उनकी जान बचा ली गई.
इससे पहले साल 2012 में उनकी कार के नीचे बम भी लगाया गया था. जिसे वक्त रहते डिफ्यूज भी कर दिया गया था. इन पर हुए हमले की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक दल का गठन भी किया गया था.
वसीम तरार-
ये पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार, कॉलमिस्ट और पॉलिटिकल विश्लेषक है.
ये मानवाधिकार के समर्थक और आतंकवादी के विरोधी है. आतंकवाद का खुलेतौर पर विरोध करने की वजह से इन्हे कई आतंकी संगठनों के द्वारा हत्या कर देने की धमकियां भी मिल चुकी है.
तस्लीमा नसरीन-
ये बांग्लादेश की निवार्सित लेखिका है जिन्हें ये निर्वासन अपने बोल्ड लेखन की वजह से झेलना पड़ा तस्लीमा और विवादों का तो जैसे चोली दामन का साथ रहा है.
तसलीमा नसरीन पेशे से सरकारी चिकित्सक रह चुकी है. तस्लीमा नारी मुक्ती, कुछ धार्मिक पंरपराओं के खिलाफ आवाज उठा चुकी है जिसकी वजह से उन्हें एक नहीं कई फतवों का सामना करना पड़ा है. जिसमें उनकी मौत का फरमान सुनाया गया है.
वो बंगाली भाषा में 35 से ज्यादा नोवेल, निंबध और आत्मकथा जैसी पुस्तके लिख चुकी है. कई सालों तक वो कड़ी सुरक्षा के बीच भारत में रही और अब पश्चिमी देशों की शरण में है.
सबसे ज्यादा विवाद उनकी पुस्तक लज्जा को लेकर हुआ. उनकी पुस्तकों पर बैन लगाने की मांग की गई.
एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में उन्होने फिर से कुरान लिखने की मांग की थी. उनके इस बयान की वजह से उन्हें जान से मारने की कई धमकियां मिली.
हमने बात की उन मुस्लिमों की जो या तो अपनी बुक्स या फिर लेखों के जरिए किसी ना किसी विवादों में फंसते रहे है. अपने बेबाक लेखन की वजह से मुस्लिम लेखक अपनी जान भी जोखिम में डाल चुके है.
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