शिक्षा और कैरियर

मुस्लिम क्यों चाहते हैं कि इस मुस्लिम स्कूल का नाम बदलकर हिंदू नाम रख दिया जाए

भारत में जब भी किसी स्थान, संस्थान या सड़क का नाम बदलने की बात आती है तो हंगामा मच जाता है.

लेकिन पूर्वोंत्तर के त्रिपुरा के उनाकोटी जिले में एक गांव है जुबराजनगर.

यूं तो यह गांव पूरी तरह मुस्लिम बहुल है लेकिन यहां मुस्लिम लड़कियों के इन दिनों एक मांग उठाई हुई है. वे चाहती हैं कि उनके स्कूल का मुस्लिम नाम बदलकर एक हिंदू महिला के नाम पर रख दिया जाए.

यह बात सुनने में इसलिए भी हैरतअंगेज लगती है क्योंकि हाल में देश में जिस प्रकार सड़कों और शहरों के मुगलकालीन नाम बदले गए हैं उससे कोहराम मच गया था. लोगों ने इसको तब असहिष्णुता से जोड़ दिया था. लेकिन इस बार मामला दूसरा है. यहां मांग कहीं ओर से नहीं बल्कि खुद गांव की मुस्लिम छात्राओं की ओर से आई है. त्रिपुरा के जुबराजनगर गांव में मुस्लिम समुदाय के लोग बहुतायत में हैं. यहां कोई स्कूल नहीं था. बच्चों को स्कूली शिक्षा करने में बहुत कठिनाई होती थी.

इसी गांव में एक हिंदू महिला सुमति सूत्रधार भी अपने पति के साथ रहती थी. लेकिन वर्ष 1999 में उनके पति की मौत हो गई. सुमति ने पति की मौत के बाद अपनी जमीन शिक्षा विभाग को देने का फैसला किया. वे चाहती थी कि उनके गांव में पढ़ने वाली लड़की भी पढ़ लिखकर आगे बढ़े.

लेकिन शुरुआत में वहीं हुआ जैसा कि अक्सर हर अच्छे कार्य में होता है. कुछ मुसलमानों ने उनकी जमीन पर बनने वाले स्कूल का विरोध करना शुरू कर दिया. लेकिन बाद में किसी तरह वे मान गए.

लेकिन पिछले साल 29 दिसंबर को सुमति सूत्रधार का निधन हो गया.

गौरतलब है कि सुमति सूत्रधार अपनी सभी स्कूल को दान करने के बाद इसी स्कूल में एक छोटे से कमरे में रहती थीं.

गांव की छात्राओं को शिक्षित करने के लिए उनके त्याग और प्रयास को देखते हुए अब गांववाले चाहते हैं कि उन्होंने अपनी जमीन दान देकर गांव की बच्चियों का भविष्य रोशन किया इसलिए इस स्कूल का नाम सुमति सूत्रधार के नाम पर रख दिया जाए.

बताया जाता है कि इस मांग को लेकर गांव की स्कूली छात्राएं सबसे अधिक मुखर हैं. वे चाहती हैं उनके स्कूल का जो मुस्लिम नाम है उसे बदलकर सुमति सूत्रधार के नाम कर दिया जाए.

क्योंकि जिस महिला ने बिना किसी धार्मिक भेदभाव के गांव की लड़कियों की शिक्षा दीक्षा के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी उनके त्याग और समर्पण को याद करने का इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं हो सकता है.

Vivek Tyagi

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Vivek Tyagi

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