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2002 के दंगों के बाद क्या है गुजरात में मुसलमानों की स्थिति

गुजरात में मुसलमानों की स्थिति – गुजरात में दिंसबर में होने वाले चुनाव के कारण गुजरात इस वक्त राष्ट्रवाद और जातिवाद की लकीर के बीच बटां नजर आ रहा है।

जहाँ भाजपा राष्ट्रवाद का हवाला देकर गुजरात का वोट बैंक अपनी तरफ करने में जुटी है वही दूसरी तरफ कांग्रेस पाटीदार समुदाय का नेतृत्व  कर रहे हार्दिक पटेल के साथ मिलकर जातिवाद की राजनिति कर रहा है। लेकिन राजनेताओं की लङाई से कोई सुमदाय अगर दूर नजर आ रहा है तो वह गुजरात का मुस्लिम सुमुदाय जिसे लेकर 2002 के बाद से कोई राजनिति देखने को नही मिली ।

भाजपा 2002 के बाद तीन बार विधानसभा सभा चुनाव बिना किसी मुसलमान  प्रत्याशी के ही जीता।

साथ ही कभी मुसलमान सुमदाय से सार्वजनिक  तौर से वोटो की अपील करते भी नहीं दिखे।  हालांकि गुजरात में मुसलमान समुदाय की चुप्पी का मतलब बिल्कुल भी ये नही है कि गुजरात का मुसलमान  समुदाय 2002 के उन भयानक दंगों के दर्द को भुला चुका है ।

2002 के दंगों से पीएम नरेन्द्र मोदी का नाम भी जोङा जाता है।

हालांकि इसके बावजूद भी पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के तीन बार सीएम बने । और उन्होंने अपने राज्य के लिए कई विकास कार्य भी किए  लेकिन अब सवाल उठता है कि गुजरात में मुसलमानों की स्थिति क्या है ? क्या गुजरात में मुस्लिम समुदाय का विकास हुआ है और क्या 2002 दंगो की आग को पीडित भुला पाए हैं ।

गुजरात का मुस्लिम समुदाय भले ही अभी राजनेताओं का मुख्य केंद्र न हो । लेकिन ये भी सच है कि 2002 के बाद मुस्लिम समुदाय ने गुजरात में खुद को उठाने के लिए बहुत महेनत की है और दंगो के लिए न्याय मांगने  की बजाय खुद को ताकतवर बनाने पर जोर दिया है। गुजरात की जनसंख्या का 10 फीसदी हिस्सा मुस्लिम  समुदाय का है । 2002 के वक्त अधिकतर लो मुस्लिम  समुदाय के साक्षर नही थी। लेकिन अब सुमदाय के 80 फीसदी लोग साक्षर है ।

मुस्लिम समुदाय ने अपने सुमदाय को बेहतर शिक्षा देने पर जोर दिया है। जिस वजह से समुदाय को ये पीढी शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काफी आगे बढ रहे हैं। इस सुमदाय के लोगों का कहना है कि अब वो समुदाय को साक्षर बने में इतना जोर दे रहे हैं ताकि रोजगार खुद इनके पास चलकर आए । राजनीति ने भले ह समुदाय ने अब तक इन्हें कोई खास अहमियत न दी हो । लेकिन लोगो के बीच जातिवाद की दिवारें गिरती नजर आ रही है । गुजरात की एक सरपंच मुस्लिम महिला है जिसे वहां हिंदू समुदाय के लोगों ने सरपंच बनाया है। जो एक अच्छे बदलाव का संकेत है।  अब यहां लो जाति या सुमदाय की जगह  गुजराती होने पर गर्व करते हैं।

ये है गुजरात में मुसलमानों की स्थिति – हालांकि जिस तरह की राजनीति इस वक्त गुजरात में देखने को मिल रही है वो इस बदलते महौल को कभी भी खराब कर सकती है। वैसे भी देश को अगर आजादी के बाद किसी ने लूटा है तो वो है यहाँ  राजनीति ने ।

Preeti Rajput

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