इसी तरह मुंबई में वरदा और मस्तान के ही समय में पठान गैंग भी अपने पर फैला रहा था. करीम लाला मुंबई में अपराध के गलियारों में एक बड़ा नाम बन चुका था.
मस्तान और लाल की सांठ गाँठ के बाद पूरी मुंबई पर मस्तान,वरदा और लाला का राज़ हो गया. बिना खून खराबे के माफिया में ऐसा समझौता और दोस्ती देखने को कभी नहीं मिली.
करीम लाला और मटन के बीच एक औ महत्वपूर्ण कड़ी थी और वो था हेड कांस्टेबल इबाहीम कासकर.
कहने को तो इब्राहिम कासकर एक अदना सा हवलदार था पर की ईमानदारी, उसके उसूल और साफदिली की वजह से स उसकी बहुत इज्ज़त करते थे.