उस दिन मस्तान को समझ आया कि दुनिया का कोई भी धंधा हो उसमे आगे वही बढ़ता है जो पैसे के साथ साथ लोगों का भरोसा भी कमाता है.
ताउम्र मस्तान इसी फलसफे पर चलता रहा और अकूत दौलत शोहरत के साथ साथ उसने लोगों का भरोसा भी कमाया.
मस्तान मुंबई का बड़ा तस्कर बन चूका था, फिर उसकी मुलाक़ात हुयी मुंबई के दुसरे हिस्से में राज करने वाले वरदा भाई से.
दोनों में अपराधी होने के अलावा जो एक और सामान बात थी वो थी दोनों ही अपने अपने इलाके के लोगों के मसीहा थे.
दोनों की जोड़ी जम गयी और शुरुआत हुयी के ऐसी दोस्ती की जो मरते दम तक बनी रही.