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मुंबई माफिया भाग 2 – नए ज़माने के डॉन, जिन्होंने मुंबई अंडर वर्ल्ड को दी एक नयी पहचान

मुंबई माफिया श्रृंखला की पहली कड़ी में आपने जाना कि तब बम्बई या बॉम्बे और अब मुंबई के शुरूआती दिनों में कौनसे गैंगस्टर ने इस शहर पर राज किया.
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श्रृंखला की दूसरी कड़ी में आज आपको मिलवाते है नए ज़माने के डॉन से, जिन्होंने मुंबई अंडर वर्ल्ड को दी एक नयी पहचान.

मुंबई माफिया भाग  2 – नए ज़माने के डॉन, जिन्होंने मुंबई अंडर वर्ल्ड को दी एक नयी पहचान.

दाऊद इब्राहीम

बच्चा बच्चा गब्बर को शायद नहीं जानता पर दाऊद को ज़रूर जानता है.

दाऊद इब्राहीम कासकर मुंबई अंडरवर्ल्ड का बेताज बादशाह ही नहीं दुनिया के सबसे संगीन अपराधियों में से एक. सिसिलियन माफिया की तर्ज़ पर है इसका सिंडिकेट जिसे पूरी दुनिया जानती है D कंपनी के नाम से.

एक पुलिस कांस्टेबल के बेटे से लेकर संगठित अपराध के सरगना तक का सफर किसी मिथ से कम नहीं है. बरसों हो गए दाऊद को मुंबई छोड़े हुए पर आज भी मुंबई में जिंदा है कहानियां, किस्से और मिथक. कितने आये और कितने गए पर D कंपनी के वर्चस्व को कोई हिला नहीं सका.

जिन्होंने कोशिश की वो खुद मिट गए.

राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ़ छोटा राजन

बड़ा राजन और फिर बाद में दाऊद इब्राहीम का सबसे विश्वासपात्र सिपहसालार.

तेज़ दिमाग की बदौलत दाऊद के साम्राज्य को एक कॉर्पोरेट कम्पनी की तरह बना दिया.

मिथुन चक्रवर्ती का बहुत बड़ा फैन राजन पहले टिकट ब्लैक करता था. दाऊद के गैंग में आने के बाद अपनी काबिलियत और दिमाग की बदौलत आगे से आगे बढ़ता ही चला गया.

मुंबई धमकों तक राजन, दाऊद का सबसे विश्वासपात्र था. धमकों के बाद दाऊद गैंग के कुछ लोगों द्वारा पैदा की गयी गलतफहमी और माफिया को मज़हबी रंग देने की वजह से राजन ने दाऊद का साथ छोड़ दिया.

तब से लेकर अब तक दोनों एक दुसरे की जान के सबसे बड़े दुश्मन बने बैठे है.

अरुण गवली उर्फ़ डैडी

एक वक्त था जब दगड़ी चाल में बिना इज़ाज़त कोई कदम भी नहीं रख सकता था.अरुण गवली मुंबई के नए ज़माने के डॉन में सबसे खतनाक था.  पहले पहले गवली और दाऊद ने साथ काम किया फिर दोनों के रास्ते अलग हुए .

एक वक्त था कि दाऊद के साम्राज्य को अगर कोई चुनौती दे सकता है तो वो गवली का गैंग था.

राजन ने धीरे धीरे गवली के सब विश्वासपात्रों का बड़ी चालाकी से सफाया किया.

कहा जाता है कि मुंबई धमाकों के बाद शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब ठाकरे ने दाऊद के मुस्लिम गैंग का जवाब देने गवली को हिन्दू डॉन के रूप में आगे बढ़ाया था.

टाइगर मेमन

 

इब्राहीम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक नदीम उर्फ़ टाइगर मेमन.

93 मुंबई धमाकों के मुख्य आरोपियों में से एक और आज के समय में दाऊद इब्राहीम का सबसे विश्वासपात्र.

इबाहीम का नाम टाइगर पड़ने के पीछे भी एक कहानी है, वो ये है कि इब्राहीम किसी चीते की तरह तेज़ और बहादुर था एक बार तस्करी के माल से भरी कार को वन वे में 100 से भी अधिक गति में भागकर पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहने की वजह से उसका नाम टाइगर पड़ा.

मुंबई धमकों की साजिश रचने से लेकर असला, आदमी, पैसा हर एक ज़रूरत पूरी करने वाला था टाइगर और उसका परिवार. ये भी कहा जाता है कि छोटा शकील के साथ मिलकर टाइगर ने ही राजन के खिलाफ दाऊद को भड़काया और राजन को D कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाया.

छोटा शकील

मुंबई धमाकों से लेकर दाऊद के लिए अनगिनत काले कारनामों को अंजाम देने वाला.

शकील किसी शैतान से कम नहीं था. राजन को बाहर का रास्ता दिखने में टाइगर के साथ साथ शकील का भी बड़ा हाथ था.

मुंबई धमाकों के बाद जब दुबई में गर्मी बढ़ गयी और राजन भी बिना बताये अचानक दाऊद का साथ छोड़ गया तो D कम्पनी का नया मुख्यालय बना कराची और नया CEO था छोटा शकील.

राजन की मदद से कड़ी की गयी D कंपनी को शकील और टाइगर ने और आगे बढ़ाया और धीरे धीरे राजन के सभी खास लोगो को कम्पनी से निकाल दिया. दाऊद के लिए शकील ने राजन पर हमले करवाए और बॉलीवुड में भी दाऊद का काम सँभालने वाला शकील ही है.

तो ये है इस नए ज़माने के गैगस्टर जिनमें से अधिकतर मुंबई से बाहर रहकर भी नियंत्रित करते है मुंबई के अपराध जगत को. ना जाने कितनी कोशिशें की गयी पर गवली के सिवा कोई भी पकड में नहीं आया.

आगे की कड़ियों में इनके बारे में विस्तृत जानकारी पढने को मिलेगी, साथ ही मिलेंगे कुछ अनोखे किस्से कुछ अनोखे गैंगस्टर के जो मुंबई पर राज़ तो नहीं कर सके पर अपने कारनामों से मुंबई अंडर वर्ल्ड पर एक विशेष छाप ज़रूर छोड़ गए.

S.Hussain Zaidi का धन्यवाद जिनकी पुस्तकों और लेखों से मुंबई और अपराध जगत को भीतर से जानने में सहायता मिली.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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