मुंबई माफिया भाग 4: वरदराजन मुदालियर का मुंबई के कुली से तमिलों के मसीहा तक का सफर
मुंबई माफिया की पिछली कड़ी में आपने पढ़ा मुंबई के पहले डॉन हाजी मस्तान के बारे में..
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इस कड़ी में पढेंगे मद्रास अभी चेन्नई से आये विक्टोरिया स्टेशन पर काम करने वाले काला बाबु का मुंबई के सबसे खतरनाक हिन्दू डॉन बनने के सफर के बारे में.
वरदा भाई जैसा की वरदराजन मुदालियर के चाहने वाले उसे बुलाते थे, मद्रास के एक छोटे से गाँव से आया था. वरदा ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था पर उसके परिवार में वही एक था जो तमिल और अंग्रेजी लिख पढ़ लेता था.
जिस समय हाजी मस्तान मुंबई डॉक पर कुली का काम करते करते मुंबई पर राज करने के सपने देख रहा था ठीक उसी समय मुंबई के प्रसिद्ध विक्टोरिया टर्मिनस पर काम करने वाला एक मद्रासी कुली भी बड़ा आदमी बनने के ख्वाब देख रहा था.
वरदा भाई के बारे में कई किस्से प्रचलित है. जिनमें सबसे प्रसिद्ध ये है कि मुंबई के थानों में कटिंग चाय आती थी पर जिस दिन चाय की जगह कोला आता था और उसे ठाणे के सबसे सीनियर ऑफिसर की टेबल पर रखा जाता था. इस कोला के ग्लास के आते ही पूरे थाने में अफरा तफरी मच जाती थी.
उस ग्लास के आने का मतलब था वरदा भाई का आगमन.
ऐसा था जलवा वरदराजन मुदलियार का.