मुंबई जिसे लोग मायानगरी और सपनों की नगरी कहते हैं लेकिन क्या मुंबई सच में सपनों की ही नगरी है या उसके अलावा भी मुंबई का कोई दूसरा रूप है जिससे लोग जानते हैं मानते हैं लेकिन बोलते नहीं.
आइये जानते हैं मुंबई को यहाँ अपने स्टार बनने के सपने लेकर आये हुए लोगो की नजरों से…
टीवी पर मुंबई की चमक देखकर हर रोज़ हजारो की संख्यां में बिना सोचे समझे अपने स्टार बनने के सपनो को लेकर घर परिवार छोड़ कर आ जाते हैं. जब मुंबई में कदम रखते हैं तब तक सबको लगता है मुंबई में आये हैं तो स्टार तो बनकर ही दिखेंगे लेकिन जब स्टार बन्ने आये लोगो का मुंबई की हकीकत से संघर्ष से सामना होता है तब समझ आता है की मुंबई सपनो की माया नगरी के अलावा “समझौते” की नगरी या “कॉम्प्रो’ की नगरी भी है.
खाने में समझौता (कॉम्प्रो )
मुंबई में खाने से लेकर रहने तक सब चीजे बहुत महंगी मिलती है. कभी कभी हर खाने में पाव देखकर लगता है की मुंबई में पाव को संघर्ष कर रहे लोगो ने ही प्रसिद्ध किया है क्योंकि संघर्ष करते करते हालत ऐसे हो जाती है की जेब में पैसे नहीं होते तो उसमे सबसे सस्ता मिलता है १०-२० रुपये के बीच में पाव. लोग मज़बूरी में पाव खाते हैं और यहाँ के लोगो को लगता है की लोग पाव को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
रहने में समझौता (कॉम्प्रो )
खाने के बाद दूसरा है रहने में कॉम्प्रो मुंबई में पी जी में रहना हो या किराये पर लेकिन दलाली लिए बिना लोग यहाँ रहने को घर नहीं देते.
सफ़र में समझौता (कॉम्प्रो )
तीसरी आने जाने का साधन ऑटो का मीटर शुरु होता है १८ रूपए से लेकिन मुंबई की ट्राफिक और सिगनल ऐसे मीटर बढाती है की पता ही नहीं चलता वही बस में सफ़र करने का सोचो को टाइम व्यर्थ होता है.
कैरियर में समझौता (कॉम्प्रो )
स्टार बनने आये लोगो को पहले कास्टिंग वाले कॉम्प्रो के लिए बेबस करते हैं फिर प्रोडक्शन हाउस वाले उसके बाद जाने कौन कौन जिनकी शायद गिनती भी नहीं तो जो लोग मुंबई आकर स्टार बनने का सपना देखते है या तो इंडस्ट्री में जिस्मफरोशी के धंधे में गिर जाते हैं और स्टार बनने के लिए आगे बढ़ते हैं या अपना रास्ता बदलकर अपने सपने को छोड़ देते हैं.
स्वास्थ्य से समझौता (कॉम्प्रो )
मुंबई में ग्लोबल वार्मिंग इतनी है की यहाँ न तो सही से बारिश टाइम पे होती है न ठंडी पड़ती है. बेमौसम बारिश से बीमारी बढती है, यातायात के साधन इतने ज्यादा हैं की ध्वनि प्रदुषण, वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण की कोई हद नहीं. बम्बई का वातावरण सेहत के लिए हानिकारक है.
मुंबई सिर्फ स्टार बनने आए लोगो को लिए ही नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए समझौते या कॉम्प्रो की नगरी है जो पहली बार मुंबई अपने कैरीयर बनाने या रहने आते हैं
तो ये है मुंबई की हकीकत मुंबई मायानगरी से ज्यादा कॉम्प्रो की नगरी है अर्थात् समझौते की नगरी, जहाँ हर कदम पर हर चीज से कॉम्प्रो करना पड़ता है.
इसलिए बिना सोचे समझे मुंबई आने का सपना न देखें क्योकि मुंबई की हक्कीकत कुछ और ही है.
मुंबई की उपरी चमक जितनी तेज है उसके पीछे उससे ज्यादा अँधेरा और कालापन है मुंबई माया नहीं कॉम्प्रो की नगरी है.