“दुःख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे!! रंग जीवन में नया लायो रे!!”
यह गाना है मशहूर फिल्म मदर इंडिया से और आज की युवा पीढ़ी के दिल का हाल बिलकुल सही मायनों में बयां कर रहा है! आखिर एक ‘मदर’ यानि कि एक माँ ही अपने बच्चों के दिल का हाल समझ सकती है, है ना? अच्छा पहेलियाँ बुझाए बिना बताता हूँ कि माजरा क्या है!
वो क्या है ना, करीब दो महीने से कुँवारे लड़के-लड़कियों की नींद उड़ी हुई थी, रातों को पेट में चूहों से कुश्ती हुआ करती थी, सपने में खाना हीरे-जवाहरात से भी सुन्दर लगा करता था और दिन भर कुछ खाने का इंतज़ाम करते वक़्त दिमाग़ सिर्फ़ घड़ी की सुइयाँ ताकता रहता था कि दो मिनट हुए कि नहीं? दो मिनट से ज़्यादा क्यों लग रहे हैं? और कितनी देर लगेगी?
समझ गए? नहीं?
अरे यार मैग्गी बैन जो हो गयी थी!
हाँ, अब बजी ना दिमाग़ की घंटी?
लेकिन अब ख़ुशियाँ लौट आई हैं, मुंबई हाई कोर्ट ने मैग्गी के ऊपर से बैन हटाने के आदेश दे दिए हैं! हाँ कुछ एक-दो टेस्ट और बाकी हैं लेकिन लग रहा है उस में भी हमारी प्यारी मैग्गी पास ही होगी! आखिर उसे खा-खा के देश भर के जाने कितने बच्चे अपनी परीक्षाओं में पास हुए हैं, भला मैग्गी कैसे फ़ेल हो सकती है!
पर हाँ, एक गुज़ारिश है देश के लड़कों से| यारों इस दो-मिनट वाले फ़ंडे को ज़रा मैग्गी तक ही सीमित रखो तो अच्छा है वरना लड़कियाँ ज़रा बुरा मान रही हैं! अब उनके साथ भी सिर्फ़ दो-मिनट वाले खेल खेले तो समझ लो वो किसी और को पकड़ लेंगी! यार दो-मिनट में खाना बनाना पसंद है, खाना नहीं! समझे या ये भी समझाना पड़ेगा?
खैर, वापस मुद्दे पर आते हैं और वो है हमारी मैग्गी! शुक्र है हाई कोर्ट का कि उसने सभी युवाओं की सच्ची फ़रियाद सुन ली! अब कोई भूखा नहीं सोयेगा, जिसको रसोई में गैस ओन करनी भी नहीं आती, वो भी शायद अब मास्टरशेफ़ प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की सोच सकेगा| बस अब दिन बदलने वाले हैं भैया, मोदी जी का तो पता नहीं, हाई कोर्ट ने हमें अच्छे दिन दिखा दिए हैं!
बस अब जल्दी से दुकानों पर आ जाए मैग्गी! लड़के लाइन लगा कर ब्लैक में भी खरीदने को तैयार बैठे हैं! सुन रहा है ना तू, रो रहा हूँ मैं! अरे ख़ुशी के आँसू हैं और मैग्गी बनाने वाली कंपनी को दिखा रहा हूँ!
चलो जल्दी से ले आओ बाज़ार में इसे वापस, दो-मिनट में!