सीबीआई – कभी कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है कि कानून निर्माताओं या उसका देखभाल करने वालों से कोई कानूनी गलती हो सकती है। लेकिन कानून के रखवाले भी तो इंसान ही हैं और इंसानों से गलती होना लाज़िमी है।
इसी गलती को रोकने के लिए सजा बनाई गई है। और इसी नियम पर चलते हुए मुंबई हाईकोर्ट ने हाल ही में सीबीआई पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
सीबीआई
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) या सीबीआई भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है। यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करती है। इसलिए देश में इसकी काफी ऊंची साख है। लेकिन कई बार इसे पिंजड़े में बंद तोता भी कहा जाता है।
अब हाल की गलती इसे कुछ और नाम भी दे सकती है।
मुंबई हाईकोर्ट ने लगाया सीबीआई पर 50,000 रुपये का जुर्माना
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में गिरफ्तार कविता माननकीकर को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआइ पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि सीबीआई ने मानकीकर को सूर्य ढलने के बाद गिरफ्तार किया है, इसीलिए यह गिरफ्तारी गैरकानूनी है। जस्टिस जे. कठवाला और भारती डांगरे की बेंच ने ‘खुले तौर पर’ कानून का उल्लंघन करने के लिए सीबीआइ पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। साथ ही सीबीआी के जिन अधिकारियों ने माननकीकर को गिरफ्तार किया है उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का आदेश भी दिया है।
पीएनबी घोटाले के मामले में आरोपी नीरव मोदी की कंपनी की कर्मचारी कविता मानकीकर को सीबीआई ने 20 फरवरी को दिन ढलने के बाद रात 10 बजे गिरफ़्तार किया था। जिसके कारण मानकीकर ने गिरफ्तारी के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था। मानकीकर ने कानून का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी जांच एजेंसी या पुलिस किसी महिला को सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं कर सकती। मानकीकर की इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीते दिनों यह फैसला सुनाया।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सीबीआइ जांच के अनुसार, अचित प्रक्रिया के तहत मानकीकर की गिरफ्तारी कर सकती थी। कोर्ट ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है कि किसी भी नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता का उल्लंघन न हो।’ कोर्ट ने आगे कहा कि ‘कानून में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि कैसे किसी नागरिक की गिरफ्तारी होनी है, इसीलिए इस तरीके का सख्ती से पालन किया जाए।’ कोर्ट ने कहा कि ‘मानकीकर की गिरफ्तारी में सीबीआइ ने कानूनों का उल्लंघन किया है।’
महिला की गिरफ्तारी को लेकर क्या कहता है कानून
- महिलाओं की गिरफ़्तारी दिन ढलने के बाद नहीं हो सकती। ना ही उन्हें दिन ढलने के बाद पुलिस स्टेशन बुलाया जा सकता है।
- अगर किसी महिला को गिरफ्तार करना जरूरी है तो उसे हाउस-अरेस्ट किया जा सकता है और वो भी महिला पुलिस द्वारा ही। लेकिन किसी भी सूरत में दिन ढलने के बाद उसकी गिरफ्तारी ग़ैर-काननी है।
- अगर किसी रिपोर्ट के बारे में किसी महिला से पूछताछ करना जरूरी है और दिन ढल चुका है तो पुलिस को ही उसके घर जाना होगा।
- महिला की जांच एक महिला पुलिसकर्मी ही कर सकती है। कोई पुरुष पुलिसकर्मी, किसी भी सूरत में उसे हाथ नहीं लगा सकता।
- गिरफ़्तारी के दौरान महिला गिरफ़्तार करने आए अधिकारी से महिला उस धारा के बारे में पूछ सकती है जिसके तहत उसे गिरफ़्तार किया जा रहा है। इसके अलावा पुलिस को ये बताना अनिवार्य होता है कि गिरफ़्तारी के बाद उस महिला को कहां रखा जाएगा। हालांकि ये कानून सब के लिए हैं।
- 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है।
- इसके अलावा गिरफ़्तारी के बाद महिला को जिस पुलिस स्टेशन ले जाया जा रहा है वहां महिला पुलिस अधिकारी का होना ज़रूरी है।
महिला को हथकड़ी नहीं पहनाई जा सकती
गिरफ्तारी के समय एक महिला को हथकड़ी नहीं पहनाई जा सकती। क्योंकि हथकड़ी का क़ानून मुख्य रूप से महिलाओं के लिए है ही नहीं। लेकिन ज़्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता। इस क़ानून के तहत हथकड़ी तब तक नहीं लगाई जा सकती जब तक कि गिरफ़्तार करने आए अधिकारी के पास कोर्ट का आदेश न हो।
आज के जमाने में कानून की इन छोटी-छोटी बातों के बारे में अधिकतर लोगों को मालूम नहीं होता है। जबकि इनकी जानकारी रख कर हम बहुत सी बड़ी घटनाओं को नजरअंदाज कर सकते हैं। खासकर लड़कियों को अपने से जुड़े कानूनों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि जानकारी ही सुरक्षा है।