वेश्यावृत्ति – भारत जितना बड़ा देश है, इसका उतना ही बड़ा इतिहास रहा है।
यहाँ विभिन्न राजाओं, सुल्तानों, बादशाहों, नवाबों ने शासन किया है, ऐसे में हर किसी ने अपने तरीके से शासन किया है। क्योंकि राजा ही कर्ता-धर्ता होता था और राजा के ही हुक्म पर सब कुछ चलता था।
अब हम बात करने वाले है, कामुकता पर।प्राचीन भारत में वा वैदिक काल तक भारत में कामुकता को बहुत ही साधारण और बेसिक दृष्टि से देखा जाता रहा है।वात्सायन के कामसूत्र में बिभिन्न प्रकार से काम की व्याख्या की गई है। इस्ल्के अलावा खजुराहो के मंदिर काम कला का जीता जागता उदाहरण है। प्राचीन समय में पश्चिमी देशों में कामुकता और सेक्सुअलिटी को बहुत ही गलत नज़रिए से देखा जाता था, वहां इन सब बातों को पाप समझा जाता था। लेकिन उस समय भारत में ये सब आम बातें थी।जो भारत के गौरव इतिहास को दर्शाने के लिए पर्याप्त है।
भारत देश में आज के समय भी वेश्यावृत्ति जारी है और बाकायदा कानूनी संरक्षण भी प्रदान है, भारत में कुछ ऐसे वेश्यालय अभी भी है जो कई सैकड़ों सालों से चलते आ रहे हैं। जिनमें मुंबई, कोलकाता, मेरठ, ग्वालियर, दिल्ली के रेड लाइट एरिया शीर्ष पर है।
अगर मुगलकालीन वेश्यावृत्ति के इतिहास की बात करें तो मुग़ल शासक अपने आनंद और मनोरंजन के लिए वेश्यावृत्ति किया करते थे। इस वेश्यावृत्ति को खुद सम्राट का संरक्षण प्राप्त था। मुग़ल अपने ऐश्वर्य के संसाधन में स्त्री को बहुत बड़ी जरूरत मानते थे। और प्रमाण स्वरुप देखा जाए तो अकबर के समय में भी हरम की प्रथा जारी थी और अकबर के जाने के बाद उसके अगले शासकों में भी। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार खुदारोज (प्रमोद दिवस) के दिन अकबर अपनी प्रजा को बाध्य किया करता था कि एक आयोजन हो जिसमें प्रजा अपने घर की स्त्रियों को नग्न करके दरवाजे पर खड़ा करे ताकि उन स्त्रियों में से सबसे सुन्दर स्त्रियों को अकबर अपने हरम के लिए चुन सके।
सुन्दर स्त्रियों को हरम में लाने का दूसरा उद्देश्य यह भी था क्योंकि उस समय सती प्रथा जोरो पर थी और जो भी स्त्री सती होने वाली होती थी, उसे सम्राट के आदेशनुसार हरम में ले आया जाता था। ताकि उस स्त्री की जान बच सके और सम्राट के कामुकता का साधन बने।
अपने अंतिम पड़ाव पर अपनी आत्म कथा में अकबर ने यह बात खुद कबूली है कि ‘अगर मुझे पहले ज्ञान हो जाता तो मैं कभी भी किसी भी स्त्री को अपने हरम में नहीं लाता”।
मुग़ल राजाओं की कामुकता उनकी इस बात से भी जाहिर होती है कि एक-एक मुग़ल शासक कई-कई रानियों से शादी करते थे और उसके अलावा हमेशा नई-नई सुन्दर स्त्रियों की खोज में रहते थे, ताकि उन स्त्रियों को अपने हरम की शान बनाया जा सके।एक तथ्य के अनुसार शाहजहाँ के हरम में कुल 8000 रखेल थी, जो उसे अपने पिता से विरासत में मिली थी। कुछ शीर्ष मुग़ल शासक जिन्हें कामुकता के लिए जाना जाता है- अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब इत्यादि।
अतः कहा जा सकता है कि मुग़ल काल में जहाँ कला और रचना को महत्व मिलता था, वही कामुकता और सेक्स का भी उनके जीवन में एक खास स्थान होता था।
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