धोनी ने कप्तानी से संन्यास ले लिया – धोनी ने भारतीय टीम में जो जोश भर कर प्रोत्साहन देने का काम किया है, इससे पहले शायद ही किसी खिलाड़ी ने किया हो.
माही ने अपने टीम को विदेशों में जाकर विजेताओं की तरह खेलने का हुनर दिया. भारतीय टीम को मजबूती के नए शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया. भारतीय क्रिकेट टीम में आत्मविश्वास जगाने का गजब का काम किया. तभी तो हर खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते.
गौरतलब है कि टी20 और वनडे टीम से महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी से संन्यास ले लिए है है.
जिसके बाद से वर्तमान और पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी के बारे में अपने कमेंट कर उनके खूबियों की बखान करने से नहीं चूकते.
लेकिन कहते हैं ना कि लोगों के सितारे हर समय एक जैसे बुलंद नहीं रहते. और ऐसा ही कुछ माही के साथ भी हुआ.
टी20 और टेस्ट क्रिकेट धोनी ने कप्तानी से संन्यास लेने के पीछे की वजह को हर कोई समझ सकता है. यकीनन टेस्ट में उनके कप्तानी का प्रदर्शन दिन ब दिन खराब होता चला जा रहा था. और उन्हें लगातार हार का सामना करना पड़ रहा था. इन कारणों से उन पर दबाव बढ़ता जा रहा था. सो ऑस्ट्रेलिया से श्रृंखला हारने के बाद माही ने सन्यास लेने में ही अपनी भलाई समझी.
गौरतलब है कि एक दिवसीय क्रिकेट मैच में भी उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं दिख रहा था. जिंबाब्वे जैसे देश से भी हाल में मुश्किल से ही जीत हासिल कर पाए थे. हर तरफ उनकी बल्लेबाजी की भी काफी आलोचनाएं हुई. सो साफ तौर पर टेस्ट के बाद एक दिवसीय क्रिकेट में भी धोनी के हालात किसी तरफ से अनुकूल नहीं थे.
वहीं भारतीय टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली का प्रदर्शन बेहद शानदार चल रहा है और उनकी कप्तानी में टीम लगातार टेस्ट की श्रृंखलाओं में जीत हासिल कर रहे हैं. एक दिवसीय क्रिकेट में भी कोहली अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ धोनी के हर तरफ से खराब प्रदर्शन ने निश्चित रूप से धोनी पर मानसिक रूप से ही नहीं बल्कि अंदरूनी तौर पर भी दबाव बनाने का काम किया.
इन सब वजह से निश्चित रूप से भारतीय क्रिकेट प्रशासन के अंदरखाने में भी धोनी पर कई सवाल खड़े हो रहे होंगे. और शायद यही कारण रहा हो कि माही ने एक दिवसीय और टी-20 क्रिकेट की कप्तानी छोड़ने का निर्णय लेना ही सही समझा. नहीं तो हो सकता था कि अगर वह खुद कप्तानी नहीं छोड़ते तो उन्हें कुछ समय बाद कप्तानी से हटा दिया जाता. और ये माही के स्वाभिमान के लिए अच्छा नहीं होता. इसलिए खुद ही कप्तानी छोड़ना माही के लिए सम्मानजनक भरा रास्ता रहा. यह धोनी के उसी गुण को दिखाता है जो कप्तानी के दौरान अनेकों बार देखने को मिला है. संयम और सहजता भरे गुणों से परिपूर्ण धोनी ने बहुत ही सराहनीय कदम लेते हुए हर किसी के दिल पर अपनी एक अलग छाप छोड़ दी.
गौरतलब है कि परिस्थितियां धोनी के बिल्कुल प्रतिकूल रहे हैं. मगर उनके चाहने वालों को यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि माही ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अनेकों मैचों को अपनी सूझबूझ और संयमित निर्णयों के चलते हारते मैच को भी जीत में बदला है. ठीक उसी तरह अपनी जीवन की दूसरी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी माहि इसी तरह उभरकर सामने आएंगे. अभी उन्होंने कप्तानी छोड़ी है, लेकिन बल्लेबाजी करते रहेंगे.
निश्चित रुप से कप्तानी के दबाव से मुक्त होकर माही अपने दमदार बल्लेबाजी से अपनी सम्मानजनक विदाई का मार्ग निश्चित कर पाएंगे.
इसमें कोई शक नहीं महेंद्र सिंह धोनी ने कप्तानी से संन्यास लिया वो अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत के तौर पर कहना सही होगा.
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