कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी बांग्लादेश से सीरीज हारने के बाद सहानुभूति बटोरने में लगे हैं.
बांग्लादेशी टीम को टीम इंडिया ने ज्यादा ही हल्के में ले लिया और अति आत्मविश्वास टीम इंडिया को ले डूबी.
इस हार से सबक लेने की बजाय जब धोनी ने बेचारा बनने की कोशिश की तो उनके प्रंशसक ज्यादा नाराज हो गए.
कैप्टन कूल हमेशा ही कूल रहते हैं, पर इस सीरीज में बिलकुल भी कूल नज़र नहीं आये. पहले तो बंगलादेशी बॉलर मुस्ताफिजुर रहमान रन लेने को दौड़ते धोनी के रास्ते में आये और धोनी ने रहमान को धक्का मार दिया. इसके बाद धोनी को जुर्माने के तौर पर अपने मैच फीस का 75 प्रतिशत जुर्माना भरना पड़ा और जब सीरीज ही हार गए तो धोनी ने खुद को विक्टिम की तरह पेश कर दिया.
सीरीज हारने के बाद जब मीडिया ने धोनी से सवाल करना शुरू किया तो धोनी बेचारा बनने लगे.
मीडिया के सवालों पर धोनी ने कहा कि “अगर मेरे कैप्टनशिप छोड़ने से टीम इंडिया जीतने लगती है तो मैं कैप्टनशिप छोड़ दूंगा”..
ये बयान काफी अजीब था.
इस बयान पर अगर गहराई से गौर किया जाए तो समझ आता है की धोनी ने हार के बाद खुद को बेचारा बना दिया.. जिससे सहानुभूति उनकी तरफ हो जाए और हार को लेकर मीडिया में ज्यादा हो-हल्ला ना हो. धोनी के इस बयान से धोनी का अभिमान भी नज़र आता है. लगातार कई बड़ी जीत ने कहीं-ना-कहीं धोनी को अभिमानी भी बना दिया है और अपनी हार पर उठते सवाल धोनी को पसंद नहीं आ रहे. और इस तरह के बयान सिर्फ धोनी के दम्भी होने को ही दर्शा रहे हैं.
इस पूरे किस्से का एक अलग आयाम भी हो सकता है.
सूत्रों के अनुसार टीम इंडिया इन दिनों दो गुटों में बंटा हुआ है. विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी गुट. रवि शास्त्री जैसे वरिष्ठ क्रिकेटर विराट कोहली के कैप्टन बनने के पक्ष में हैं. बांग्लादेश से इस करारी हार के बाद ये मांग ज्यादा उठ सकती थी. तो धोनी ने अपने इस बयान से सहानुभूति बटोर ली. ताकि अब ये मांग ज़ोरदार तरीके से उठायी ना जा सके.
कहा जाता था की क्रिकेट जेंटलमैन गेम है, पर अब जिस तरह इसमें राजनीति घुसती जा रही हैं, कह सकते हैं की क्रिकेट अब राजनितिक खेल ज्यादा बन कर रह गयी है.