प्रभादेवी सेमवाल – भारत के गाँव में आज भी लड़कियां और महिलाओं को घर से बाहर का कम नहीं दिया जाता.
महिलाएं घर में ही चूल्हा-चौका करती हैं. आज से पहले की बात करें तो स्थिति और भी बेकार थी. घूँघट में रहकर घर का सारा काम करना और सिर्फ और सिर्फ घर में रहना ही महिलाओं का काम था.
उस ज़माने में अगर कोई महिला कोई ऐसा काम करे, जिसके बारे में लोग सोच भी न सकें तो अप उसकी उपलब्धि का आकलन लगा सकते हैं. आपको सुखी रखने के लिए ये महिला दिन-रात मेहनत करती है. ऐसा नहीं है कि इनके बच्चे नहीं हैं. सब हैं, लेकिन फिर भी ये अपने इस काम को बखूबी अंजाम देती हैं.
आइए, मिलते हैं ये माउंटेन वुमन से, जिसने खुद को गलाकर आने वाली पीढ़ियों के लिए बड़ा काम कर दिया.
उत्तराखंड की ये महिला नाम प्रभादेवी सेमवाल सच की देवी साबित हुई हैं. 66 साल की प्रभादेवी सेमवाल का आज अपना खुद का जंगल है, जिसे इन्होंने खुद उगाया, पाला पोसा और सहेजा है. उम्र के इस पड़ाव में भी बुजुर्ग प्रभादेवी सेमवाल की दिनचर्या अपने खेत, जानवरो और पेड़ो के ही इर्द गिर्द घूमती है. प्रभादेवी सेमवाल पहाड़ों पर जंगल उगाने का काम करती हैं. लगातार पेड़ों के कटने की संख्या ने प्रभा देवी को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया.
प्रभा देवी उम्र के 66 वें पड़ाव पर हैं, लेकिन उनका हौसला कम नहीं हुआ है. सालों पहले गांव में अवैध कटाई और भूस्खलन के कारण जंगल से रोजमर्रा की जिंदगी को मिलने वाले संसाधनो में कठिनाई आने लगी.
ऐसे में प्रभादेवी सेमवाल ने अपने रोजमर्रा के जीवन में जंगल की उपयोगिता को समझते हुए वनों को सहेजने का संकल्प लिया और अपने खेतों फसल बोने की बजाए कई पेड़ लगाकर इसकी शुरूआत की. किसी और से मदद लिए बिना ही प्रभा देवी पेड़ों को लगाना शुरू कर दीं.
आज प्रभादेवी सेमवाल के इस काम से प्रेरित होकर बहुत से लोगों ने पेड़ों को लगाना शुरू कर दिया है.
जिस उम्र में हमारे देश के बुजुर्गों को अपनों का साथ चाहिए होता है, उस उम्र में प्रभा देवी पेड़ों को लगाकर अपना जीवन बिता रही हैं. ऐसा नहीं है की प्रभा देवी की कोई औलाद नहीं है. प्रभादेवी सेमवाल के तीन बेटे और तीन बेटियां हैं. आज उनके बेटे-बेटियां देश-विदेश में अपने-अपने कामो में लगे हैं और अच्छी तरह सेटल हैं. लेकिन उनके कई बार बुलाने के बाद भी प्रभा देवी ने कभी पहाड़ नहीं छोड़ा. बच्चों के साथ आराम से रहने की बजे प्रभादेवी सेमवाल ने पहाड़ों को सजाने में लगा दिया. उन्हें यही जीवन ज्यादा भाया.
प्रभादेवी सेमवाल ने शुरुआत तो एक पौधे से की थी, लेकिन आज उनका खुद का जंगल है. ये जंगल वो मरने के बाद अपने साथ नहीं ले जाएंगी, बल्कि यहीं रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को ही फायदा पहुंचाएगा.
हमारे देश में जब कोई राजनेता या फिल्मस्टार एक भी पौधा लगाता है तो उसकी खबरें सभी जगह आने लगती हैं. बड़ी बड़ी फोटो छपने लगती है, लेकिन प्रभा देवी आज पूरा जंगल लगा चुकी हैं, लेकिन उन्हें आज भी बहुत कम लोग ही जानते हैं.
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