जो कोई भी एक बार माउंट एवरेस्ट तस्वीर को एक बार देख लेता है फिर उसकी तमन्ना होती है कि वह एक बार वहां जाए हालांकि वहां जाना कोई आसान और सस्ता काम नहीं है लेकिन फिर भी वहां लोग जाने के लिए लालायित रहते हैं क्यों तस्वीर देखकर आप खुद ही तय करीए कि आप भी वहां जाना चाहेंगे
1 – एशिया में नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित वृहद हिमालय पर्वत शृंखला का सर्वोच्च शिखर है यह पृथ्वी का सर्वोच्च स्थल है माउंट एवरेस्ट को संस्कृत में देवगिरि, तिब्बती में चोमोलुंग्मा, और नेपाली में सगरमाथा कहते हैं
2 – यहां ऑक्सीजन का स्तर कम है ऊपरी ढलानों पर ऑक्सीजन की कमी, तेज हवाओं तथा अत्यधिक ठंड के कारण किसी प्रकार का वानस्पतिक या प्राणी जीवन सम्भव नहीं है ग्रीष्मकालीन मानसून (मई से सितम्बर) के दौरान हिमपात होता है
3 – माउंट एवरेस्ट स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय है इसके तिब्बती व 3 नेपाली नामों का अर्थ विश्व की मातृदेवी है 1852 में भारत सरकार द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण से इस तथ्य को स्थापित किये जाने तक इसे पृथ्वी की सतह पर सर्वोच्च शिखर के रूप में मान्यता नहीं मिली थी
4 – पहले यह शिखर पीक 15 के नाम से जाना जाता था अंग्रेज कर्नल सर जॉर्ज एवरेस्ट जो 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे थे, उन्हीं के नाम पर इस हिमालयी पर्वत श्रेणी का नाम माउंट एवरेस्ट पड़ा
5 – माउंट एवरेस्ट पर पहुंचने वालों में नेपाल के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और भारत टॉप पर हैं. एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने के लिए 2 महीने का समय लगता है और एक आदमी का खर्च लगभग 80 लाख रूपए आता है.
6 – 29 मई 1953 को पहली बार माउंट एवरेस्ट पर न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और नेपाली मूल के भारतीय नागरिक तेनसिंह नोर्गे शेरपा चढ़े थे. नेपाल के अप्पा शेरपा ने 21 बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का रिकॉर्ड कायम किया
7 – अरुणाचल प्रदेश की 32 साल की अंशु जामसेपना पहली महिला बनी जिन्होंने एक ही सीजन में दो बार एवरेस्ट पर चढ़ाई की. जबकि फ्लाइट लेफ्टिनेट निवेदिता चौधरी पहली महिला पायलट हैं जिन्होंने एवरेस्ट की उंचाई पर जीत दर्ज की
8 – वैसे तो एवरेस्ट की चोटी से नीचे उतरने के लिए 3 दिन का समय लगता है लेकिन 2011 में 2 नेपाली पैरागलाडिंग की सहायता से मात्र 48 मिनट में नीचे उतर आए थे एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने के लिए 18 अलग-अलग रास्ते मौजूद है
9 – एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए पहले लोगो को लगभग 15 लाख रूपए फीस देनी होती थी लेकिन 2015 मे नेपाली सरकार ने इसे कम करके लगभग 7 लाख कर दी.
10 – पिछले 42 सालों में सिर्फ 2015 को छोड़कर कोई ऐसा साल नही गया जब किसी न किसी ने एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी न की हो.2015 में कोई अभियान इसलिए सफल नही हो पाया क्योकिं अप्रैल में नेपाल में 7.8 की तीव्रता का भूकंप आया था.
बहराल, माइनस 80° डिग्री फारेनहाइट तापमान और 321 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हवा चलने के बावजूद भी एवरेस्ट की चोटी पर जाने वाले लोगों की कोई कमी नहीं हैं यहां जाने क लिए हर साल काफी तादाद में लोग आवेदन करते हैं
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