माँ की कुरबानियाँ – माँ नहीं होती तो क्या हम हो सकते थे?
या आप माँ के बिना अपने जीवन का अनुमान लगा सकते हैं?
हकीकत यह है कि माँ अगर नहीं होती तो हम शायद कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि हम कैसे होते.
आपने जीते जी भगवान देखा है वो बात अलग है कि आप इस अनुभव से कभी वाकिफ ही नहीं हो पाए, लेकिन यकीन मानो जो माँ है, वैसा ही भगवान होता है.
आज हम आपको एक माँ की कुरबानियाँ बताते है जो हर माँ अपने बच्चे के लिए देती है. निश्चित रूप से इनको पढ़कर आपकी आँखें नम हो जायेंगी-
माँ की कुरबानियाँ –
1. 9 महीने पेट की पीड़ा
एक माँ ही इस दर्द को ब्यान कर सकती हैं. 9 महीने तक अपने पेट में एक नन्नी सी जान को पालना, उसका ख्याल रखना एक सबसे बड़ी कुर्बानी है जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं.
2. खुद भूखी रह जाती है माँ
लाइफ में कई बार ऐसा जरूर होता है कि हमको भोजन करा रही माँ खुद भूखी रह जाती है. माँ कई बार खुद पानी पीकर पेट भर लेती है और हमको भरपेट भोजन कराती है.
3. बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी कुर्बानी
अक्सर माँ अपने बच्चों से भविष्य के लिए अपनी हर ख़ुशी से मुंह फेर लेती है. बच्चों की पढ़ाई के लिए माँ अपने गहने तक बेच देती हैं या कई सालों तक एक ही साड़ी पहनती रहती हैं.
4. बच्चे के बिमार होने पर सिर्फ माँ जागी रहती है
आप बचपन के उस लम्हें को याद कीजिये जब आप बिमार हुए हों. याद कीजिये कि उस वक़्त कोई भी घर का अन्य सदस्य रात को जगा नहीं होता था लेकिन एक माँ थी कि पूरी रात अपने बच्चे को गले लगाये बैठे रहती है.
5. बच्चों के लिए जमाने भर से लड़ जाती है माँ
अपने बच्चों के लिए एक माँ, पूरे जमाने से लड़ जाती है. यहाँ तक कि आपके लिए माँ ने कई बार अपनी जान भी जोखिम में डाल दी होगी. आपके पिता से आपके लिए गालियाँ भी सुनी होंगी. कई बार एक माँ अपने बच्चे के लिए कुए तक में कूद जाती है. एक माँ ही है जो अपने बच्चे की हर गलती को छुपा देती है ताकि उसको किसी की नजर ना लगे.
माँ की कुरबानियाँ – इतना होने की बावजूद भी एक समय के बाद आप अपनी माँ के प्यार को भूल जाते हैं.
अपनी माँ की कुरबानियाँ हम नजर अंदाज कर देते हैं. जब एक माँ की आँखें कमजोर हो रही होती हैं और शरीर को सहारे की जरूरत होती है ना जाने क्यों हमें माँ की कुर्बानियां याद नहीं रहती और हम माँ से तुम दूर हो जाते हो.
एक माँ ही है जो बस सदा बच्चों को दुआ देती रहती है.
अपनी माँ की कुर्बानियां याद रखियें.